डॉ. महेंद्र मधुकर के उपन्यास असुरलोक का भव्य लोकार्पण

  • Post By Admin on Dec 02 2024
डॉ. महेंद्र मधुकर के उपन्यास असुरलोक का भव्य लोकार्पण

मुजफ्फरपुर : मिठनपुरा स्थित मंजुल प्रिया सभागार में डॉ. महेंद्र मधुकर के पौराणिक उपन्यास "असुरलोक" का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर साहित्य जगत के अनेक दिग्गजों ने उपन्यास की विशेषताओं पर प्रकाश डाला और लेखक के लेखन कौशल की सराहना की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. पूनम सिन्हा ने कहा कि डॉ. महेंद्र मधुकर की लेखनी में भाषा की समृद्धि और विषय की गहन समझ का अद्भुत सामंजस्य है। "असुरलोक" में उन्होंने आसुरी सभ्यता और मानवीय संस्कृति के संघर्ष को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है।

डॉ. सतीश कुमार राय ने इस उपन्यास को पौराणिकता और आधुनिकता का बेहतरीन समायोजन बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. मधुकर का लेखन अध्ययन और विश्लेषण की गहराई को दर्शाता है। वहीं डॉ. संजय पंकज ने डॉ. मधुकर की लेखनी में प्रवाह और सांस्कृतिक गरिमा को अनुकरणीय बताते हुए उनके उपन्यासों पर व्यापक शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. वीरमणि राय ने कहा कि यह उपन्यास लेखक की समाज को बचाने की गहरी चिंता और पीड़ा का प्रतीक है। डॉ. चितरंजन कुमार ने पुस्तक पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि आज के बाजारवाद और आधुनिकतावाद के दौर में यह उपन्यास आसुरी सभ्यता से मुक्ति का रास्ता खोजने का माध्यम बन सकता है।

डॉ. महेंद्र मधुकर ने अपनी रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा, "असुरलोक मेरा पंद्रहवां उपन्यास है, जिसमें देव जाति और असुर जाति के बीच के टकराव और उनके संघर्षों को पौराणिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इस उपन्यास में भारतीय संस्कृति के अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है।" उन्होंने आगे कहा कि समय भले ही बदलता रहे, लेकिन महत्वाकांक्षा, अहंकार और लालसा का अंत नहीं होता। यह उपन्यास पुरानी और समकालीन कहानियों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है और असुर भाव का विश्लेषण करता है।

कवि सम्मेलन ने बढ़ाया आयोजन का आकर्षण

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. रवींद्र उपाध्याय की अध्यक्षता में एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें डॉ. पूनम सिन्हा, सतीश राय, संजय पंकज, वंदना विजय लक्ष्मी, पंखुरी सिन्हा, उदय नारायण सिंह, कृष्ण मुरारी और रजनीश झा सहित कई कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस आयोजन में अविनाश तिरंगा, राजेश शाही और विभूतिभूषण जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन विजय शंकर मिश्र ने किया, जबकि स्वागत संबोधन डॉ. सुनीति मिश्र ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन पूनम मृणाल ने करते हुए समारोह को यादगार बना दिया।