इंद्रधनुष 2024 सांस्कृतिक महोत्सव का पटना में हुआ भव्य उद्घाटन, 22 से 24 नवंबर तक आयोजित होगा

  • Post By Admin on Nov 23 2024
इंद्रधनुष 2024 सांस्कृतिक महोत्सव का पटना में हुआ भव्य उद्घाटन, 22 से 24 नवंबर तक आयोजित होगा

पटना : इंद्रधनुष 2024 नामक तीन दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन शुक्रवार को प्रेमचंद रंगशाला में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आलेकर द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस महोत्सव का आयोजन पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (इजेडसीसी), कोलकाता, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी), प्रयागराज और बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की निदेशक रूबी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। जबकि रचना पाटिल, निदेशक, संग्रहालय, कला विभाग और सीमा त्रिपाठी, विशेष सचिव ने भी अपना वक्तव्य दिया। इसके बाद राज्यपाल ने अपने संबोधन में इस आयोजन के महत्व को रेखांकित किया और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस महोत्सव की सराहना की।

महोत्सव में विभिन्न राज्य हरियाणा, राजस्थान, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोक गीत एवं लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां दी जा रही हैं। इस अवसर पर हस्तशिल्प मेला, खानपान मेला, पारंपरिक पहनावे का प्रदर्शन, चित्रकला कार्यशाला और रंगोली प्रदर्शन भी आयोजित किए गए हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत “एक रिश्ता” नामक गंगा पर आधारित नृत्य नाटिका से हुई। जिसके बाद समवेत नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस नृत्य का निर्देशन राजीव कुमार रॉय ने किया। बिहार के कलाकारों ने “बिहार गौरव गान” की प्रस्तुति दी। जबकि असम के राजीव कलिता के दल ने बिहू नृत्य पेश किया। मध्य प्रदेश के निधि चौरसिया के दल ने बधाई लोक नृत्य का प्रदर्शन किया।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के दल ने लोक नृत्य की प्रस्तुति दी और बिहार के सबेरा कला केंद्र ने लोक नृत्य सामा चकेवा प्रस्तुत किया। राजस्थान के अंजना कुमावत के दल ने चारी नृत्य पेश किया और हरियाणा के कामिल के दल ने फाग नृत्य प्रस्तुत किया। ओडिशा के अरुण कुमार सुना के दल ने संबलपुरी नृत्य पेश किया। महोत्सव के दौरान कव्वाली की भी प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। संपूर्ण कार्यक्रम का मंच संचालन सोमा चक्रवर्ती ने किया।

यह महोत्सव भारतीय लोक कला, संस्कृति और शिल्प को प्रोत्साहित करने का एक बड़ा प्रयास है। जिसमें लगभग 400 लोक कलाकार और 40 शिल्पकार विभिन्न राज्य और क्षेत्रीय परंपराओं की नुमाइश कर रहे हैं। महोत्सव 24 नवंबर तक चलेगा और इसमें प्रवेश सभी के लिए निःशुल्क है। शनिवार, 23 नवंबर को पुनः शाम 4 बजे से महोत्सव का अगला सत्र शुरू होगा। जिसमें और भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।