बाढ़ की विकट परिस्थिति में भी महिलाएं संस्थागत प्रसव के लिए पहुंच रही हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

  • Post By Admin on Sep 26 2024
बाढ़ की विकट परिस्थिति में भी महिलाएं संस्थागत प्रसव के लिए पहुंच रही हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

लखीसराय : बिहार के कई जिले इस समय बाढ़ की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर वे लोग जो जिला या प्रखंड मुख्यालय से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बसे हैं। ऐसी ही एक मिसाल है लखीसराय जिले का पिपरिया इलाका, जो चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है। यहां के लोग कठिन हालातों के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तक पहुंच रहे हैं, और संस्थागत प्रसव की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। 

पीएचसी पिपरिया के प्रभारी डॉ. संजय कुमार के अनुसार, "बाढ़ के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इन विकट परिस्थितियों में भी हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं मिले, और महिलाएं सुरक्षित तरीके से संस्थागत प्रसव कर सकें।" 

नाव और ट्रैक्टर से पहुंच रहे हैं लाभार्थी

बाढ़ के कारण कई इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं, लेकिन बावजूद इसके लाभार्थी नाव और ट्रैक्टर जैसे साधनों का उपयोग कर पीएचसी तक पहुंच रहे हैं। डॉ. संजय कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र के कर्मी और आशा कार्यकर्ता भी पूरी लगन से इस दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि कोई भी महिला स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रह जाए। 

आशा कार्यकर्ताओं का योगदान

पीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक अमान नजर ने बताया कि सभी आशा कार्यकर्ताओं को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे समुदाय के बीच रहकर लोगों की मदद करें।  साथ ही उन्होंने  यह भी कहा कि "आशा कार्यकर्ताओं का योगदान इस विकट परिस्थिति में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे प्रसव पीड़ित महिलाओं को केंद्र तक पहुंचाने में मदद कर रही हैं और सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कर रही हैं,"।

संस्थागत प्रसव से सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित

कोमल कुमारी, जो पिपरिया की रहने वाली हैं, बताती हैं कि जब उनका प्रसव का समय नजदीक आया तो बाढ़ की विभीषिका ने उनके गांव को घेर लिया था। कोमल ने बताया कि "मैं तो बहुत घबरा गई थी कि कैसे अस्पताल पहुंच पाऊंगी, लेकिन मेरी आशा दीदी शिल्पी कुमारी ने हिम्मत दी और कहा कि हम ट्रैक्टर से जा सकते हैं। वह मेरे साथ थीं और हम सुरक्षित अस्पताल पहुंच गए,"। 

काजल कुमारी, जो रामचंद्रपुर की निवासी हैं, ने भी बाढ़ के दौरान इसी तरह का अनुभव साझा किया। काजल ने कहा कि "जब मेरे प्रसव का समय नजदीक आया, बाढ़ का पानी भी गांव में घुस गया। मैंने और मेरे परिवार ने बहुत चिंता की, लेकिन आशा दीदी ने मुझे हिम्मत दी और कहा कि चाहे कुछ भी हो, हम आपके बच्चे को सुरक्षित इस दुनिया में लाने के लिए तैयार हैं।