स्मार्ट मीटर पर रोक की मांग, 1 जनवरी को काला दिवस मनाएंगे बिजली अभियंता
- Post By Admin on Dec 31 2024
 
                    
                    लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के घरों में लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर उपभोक्ता परिषद और बिजली अभियंता लगातार विरोध कर रहे हैं। उपभोक्ता परिषद ने प्रीपेड मीटर पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है और यह भी कहा है कि जो मीटर अब तक लगाए गए हैं उनके पांच प्रतिशत मीटर ही चेक मीटर के रूप में लगाए जाएं, जैसा कि केंद्र सरकार के नियमानुसार है। इसके साथ ही, परिषद ने यह भी मांग की है कि किसी भी मीटर को बिना साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (SAT) पास किए न लगाया जाए।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर का विवाद
उत्तर प्रदेश के बिजली कंपनियों में 5 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं लेकिन इन मीटरों को बिना आवश्यक टेस्ट पास किए लगाने की समस्या उत्पन्न हो रही है। मॉडल स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट (MSBD) की धारा 9.6.1 के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने के बाद साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (SAT) पास होना अनिवार्य है। लेकिन, इन मीटरों को इंस्टॉल करने से पहले फील्ड इंस्टॉलेशन एंड इंटीग्रेशन टेस्ट (FIIT) भी जरूरी है।
बिजली अभियंता यह आरोप लगा रहे हैं कि बिना इन टेस्टों को पास किए मीटर लगाए जा रहे हैं जिससे उपभोक्ताओं को गलत बिलिंग और तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने इसके खिलाफ जोरदार विरोध शुरू किया है और मांग की है कि इन मीटरों को तत्काल रोका जाए।
बिजली अभियंताओं का संघर्ष
बिजली अभियंताओं ने इस मुद्दे को लेकर एकजुटता दिखाई है और एक संघर्ष की योजना बनाई है। झांसी में हाल ही में हुई एक बिजली पंचायत में उरई, महोबा, ललितपुर और झांसी के बिजली कर्मियों और अभियंताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा की और आगामी कार्यवाई की रूपरेखा तय की। बिजली अभियंताओं ने निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाते हुए यह स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं।
बिजली अभियंताओं ने 1 जनवरी को काला दिवस मनाने का ऐलान किया है और वे इस दिन अपने विरोध का प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि सरकार के निजीकरण के कदम से बिजली कर्मियों का भविष्य खतरे में है और वे इसे हर हाल में रोकने के लिए संघर्ष करेंगे।
लाइन हानि में सुधार
बिजली विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कार्यक्षमता में सुधार किया है। 2016-17 में जहां 41 प्रतिशत लाइन हानि हो रही थी। वहीं, अब 2023-24 तक यह घटकर 17 प्रतिशत हो गई है। बिजली कर्मियों ने आगे के एक-दो साल में इस हानि को 15 प्रतिशत से कम करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन द्वारा निजीकरण का फैसला लिया गया है जो बिजली अभियंताओं के लिए एक बड़ा विरोधी कारण बन चुका है।
निजीकरण के खिलाफ विरोध
बिजली अभियंताओं और कर्मियों का मानना है कि सरकार का निजीकरण का कदम न केवल उनके अधिकारों के खिलाफ है बल्कि यह आम उपभोक्ताओं के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। वे सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि बिजली आपूर्ति से संबंधित निर्णयों में उनका पक्ष सुना जाए और उपभोक्ताओं के हित में फैसले किए जाएं।