नाट्य संस्था सबेरा द्वारा नाट्य कार्यशाला के चौथे दिन बच्चों ने सीखी प्राचीन कला कठपुतली
- Post By Admin on Nov 16 2024

पटना : नाट्य संस्था ‘सबेरा’ द्वारा आयोजित पांच दिवसीय प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला के चौथे दिन बच्चों ने प्राचीन कला ‘कठपुतली’ के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह कार्यशाला सबेरा जन उत्थान सामाजिक संस्थान द्वारा जिले के आदर्श उत्क्रमित मध्य विद्यालय (बीएमपी कमाउंड) में आयोजित की गई।
कार्यशाला के चौथे दिन, नाट्य निर्देशक और कठपुतली कला विशेषज्ञ सुनील सरला ने बच्चों को कठपुतली कला का इतिहास और उसके महत्व के बारे में बताया। उन्होंने बच्चों को बताया कि कठपुतली कला न केवल एक मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह शिक्षा का एक सशक्त और दिलचस्प माध्यम भी है। कठपुतली के माध्यम से बच्चों में सर्जनात्मकता का विकास होता है और उनकी सीखने की क्षमता का विस्तार होता है।
सुनील सरला ने यह भी बताया कि कठपुतली कला में लेखन, नाट्य कला, चित्रकला, मूर्तिकला, काष्ठकला, वस्त्र निर्माण, रूप सज्जा, संगीत और नृत्य इत्यादि जैसे विभिन्न कलाओं का मिश्रण होता है। यह कला बच्चों के व्यक्तित्व के समग्र विकास में सहायक होती है। कठपुतली कला से बच्चों में विचारों के संप्रेषण की क्षमता बढ़ती है और वे समाज से जुड़े कई विषयों पर अपनी समझ विकसित करते हैं।
कठपुतली नृत्य को भारत में लोकनाट्य की एक महत्वपूर्ण शैली माना जाता है। यह कला न केवल बच्चों के मनोरंजन का साधन है, बल्कि इसके माध्यम से सामाजिक मुद्दों जैसे पर्यावरण संरक्षण, जल संकट, मतदाता जागरूकता और अन्य ज्ञानवर्धक विषयों को भी प्रस्तुत किया जाता है। कार्यशाला के दौरान बच्चों ने कठपुतली के निर्माण और उन्हें मंच पर जीवंत रूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया सीखी। इसके साथ ही उन्हें कठपुतली कला के माध्यम से सामाजिक संदेश देने के तरीके भी सिखाए गए। बच्चों ने इस कला को बड़े उत्साह के साथ सीखा और भविष्य में इसे अपने नाटकों और प्रस्तुतियों में शामिल करने का संकल्प लिया।
कार्यशाला में बच्चों को कास्ट किया गया, जिनमें जिगर, रित्विक, पिंकी, कहकशा, श्रृष्टि, आयुषी, रोशनी, श्रेया, खुशबू, निक्की, अकांछा, आकृति, माही, सिमरन, संध्या, नेहा, आयुषी, अनन्या, स्तुति और आराध्या शामिल थे। इस अवसर पर नाट्य संस्था ‘सबेरा’ के अन्य सदस्य और कार्यशाला के संरक्षक कृष्ण कुमार प्रधनाचार्य, कला निर्देशक सुनील सरला, संजय यादव, स्वेता यादव, एस के पांडेय, अमित कुमार, पिंकी कुमारी, शशी कुमार, किरण, हेना परवीन और अन्य लोग उपस्थित थे।
सामाजिक संदेश और बच्चों के विकास का मिला शानदार संगम:
कार्यशाला ने बच्चों को एक ऐसी कला से परिचित कराया, जो न केवल मनोरंजन, बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी सशक्त माध्यम है। यह न केवल उनके व्यक्तित्व के विकास में सहायक होगी, बल्कि वे आगे चलकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी सक्षम होंगे।