पंडित कार्यानंद शर्मा की 59वीं पुण्यतिथि पर समारोह आयोजित
- Post By Admin on Nov 19 2024

लखीसराय : राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी और किसान-मजदूर आंदोलन के संस्थापक नेता पंडित कार्यानंद शर्मा की 59वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन संतर मोहल्ला स्थित किसान-मजदूर केंद्र में किया गया। इस अवसर पर जिले के कई सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
समारोह की अध्यक्षता पोखराज केवट ने की। जबकि संचालन खेत मजदूर यूनियन के जिला सचिव प्रमोद दास ने किया।
समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व प्राचार्य डॉ. विजयेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पंडित कार्यानंद शर्मा एक महान देशभक्त और गरीबों के सच्चे मसीहा थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के साथ मिलकर काम किया और अपने पूरे परिवार को आजादी की लड़ाई में समर्पित कर दिया।
महत्वपूर्ण योगदानों को किया गया याद:
खेत मजदूर यूनियन के राज्य सचिव प्रमोद शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि पंडित कार्यानंद शर्मा 1957 से 1962 तक बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। उन्होंने 1935 में स्वामी सहजानंद सरस्वती, राहुल सांकृत्यायन और आचार्य नरेंद्र देव के साथ मिलकर अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने देश में पहला महिला संगठन और खेत मजदूर यूनियन का भी गठन किया।
भाकपा के सहायक जिला सचिव विश्व रंजन ने कहा कि पंडित शर्मा न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक शिक्षाविद भी थे। उन्होंने सहूर, मननपुर, दुर्गा उच्च विद्यालय, महिला विद्यामंदिर और विद्यापीठ सहित कई शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अधिकारों के लिए संघर्ष और सामाजिक योगदान:
समारोह में अरुण कुमार सिंह, श्रीराम भगत, कैलाश सिंह, जनार्दन प्रसाद सिंह, रजनीश रत्न और निर्मला देवी सहित अन्य वक्ताओं ने भी पंडित कार्यानंद शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने कहा कि आजादी के संघर्ष के दौरान शर्मा जी ने लगभग 8 वर्ष जेल में बिताए। वे हमेशा गरीबों और किसानों के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे।
समाज में मान्यता का अभाव:
वक्ताओं ने इस बात पर भी चर्चा की कि पंडित कार्यानंद शर्मा जैसे महान नेता को समाज में वह मान्यता नहीं मिली। जिसके वे हकदार थे। उनके योगदानों को याद करते हुए सभी ने उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। यह समारोह पंडित कार्यानंद शर्मा के विचारों और संघर्षों को प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ।