केसरिया बौद्ध स्तूप के ऐतिहासिक महत्व को सहेजने की मुहिम
- Post By Admin on Jan 02 2025

मोतिहारी : “जो कॉम अपना इतिहास नहीं जानता, वह कॉम अपना इतिहास नहीं बना सकता।” इस विचार के साथ केसरिया में स्थित ऐतिहासिक बौद्ध स्तूप और उसके आसपास के स्थलों की विरासत को बचाने के लिए एक बड़ा प्रयास शुरू किया गया है। इसे लेकर आगामी 30 अक्टूबर 2025 को बौद्धिक ज्ञान दीपोत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जो न केवल केसरिया बल्कि सम्पूर्ण बिहार और देशवासियों को अपनी ऐतिहासिक धरोहर के महत्व को समझने और उसे सहेजने के लिए प्रेरित करेगा। केसरिया बौद्ध स्तूप, जो इस क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति, कला और विज्ञान की समृद्धि का प्रतीक है, लंबे समय तक उपेक्षित रहा। यह स्तूप तथागत बुद्ध के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है और इसका ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। केसरिया को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह सत्युग के राजा ‘बेन’ की राजधानी के रूप में जाना जाता था और यहाँ चक्रवर्ती राजा पृथु ने राज्य किया था। इसे लेकर यह भी कहा जाता है कि तथागत बुद्ध ने अपने पूर्व जन्म में यहाँ ‘मखादेव’ के रूप में शासन किया था।
पूरे चम्पारण क्षेत्र में प्राचीन खण्डहर, ध्वंसावशेष और शिलालेख मौजूद हैं, जो सम्राट अजातशत्रु और सम्राट अशोक द्वारा निर्मित महत्वपूर्ण स्तूपों और शिलालेखों का प्रमाण हैं। इन ध्वंसावशेषों के बीच केसरिया बौद्ध स्तूप का स्थान विशेष महत्व रखता है। बावजूद इसके, केसरिया स्तूप की खुदाई की गति धीमी रही है और अब भी यह अधूरी है। यदि इसकी खुदाई तेज़ी से की जाए और इसे बोधगया, राजगृह, कुशीनगर, सारनाथ जैसे प्रमुख बौद्ध स्थलों के साथ जोड़ा जाए, तो यह स्थान पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बन सकता है। दीपोत्सव आयोजन समिति द्वारा आयोजित बौद्धिक ज्ञान दीपोत्सव एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्देश्य प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना है। यह कार्यक्रम 30 अक्टूबर 2025 को आयोजित होगा। जिसमें हजारों की संख्या में लोग भाग लेकर इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार से उचित कदम उठाने की अपील करेंगे।
आयोजन समिति के सदस्य राम अधार राय, सीताराम यादव, राजकुमार प्रसाद और अन्य स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर इस ऐतिहासिक स्थल को उचित पहचान और संरक्षण दिया जाता है, तो यह न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा पर्यटन स्थल बन सकता है। समिति ने अपील की है कि केसरिया को बोधगया, राजगृह, कुशीनगर और सारनाथ जैसे प्रसिद्ध बौद्ध स्थलों से जोड़कर एक बड़ा बुद्धिस्ट सर्किट विकसित किया जाए। जिससे इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण हो सके और यह पर्यटन के क्षेत्र में भी एक नई पहचान बना सके। समिति के उपाध्यक्ष राम अधार राय और अन्य सदस्यों ने केसरिया जिला, बिहार और देशवासियों से 30 अक्टूबर 2025 के कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हमारी विरासत को बचाने में हमें अपनी भूमिका निभानी होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी हमारे इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को जान सकें और समझ सकें।” इस कार्यक्रम में राम अधार राय, सीताराम यादव, राजकुमार प्रसाद, राजेंद्र सिंह, राकेश कुमार रतन, नेजम खान, लव कुमार यादव, अरुण कुमार, सुनील सिंह, किरण देवी, सुबोध कुमार और प्रफुल्ल कुंवर मुख्य रूप से सक्रिय हैं।