कार्तिक संपूर्ण माह आध्यात्मिक पुण्यदायक अमृत सामान ऊर्जा संग्रह का समय
- Post By Admin on Nov 11 2024
मुजफ्फरपुर : पं. जय किशोर मिश्र ने कार्तिक माह के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह समय आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य अर्जन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि पावन कार्तिक माह में विशेष रूप से 12 नवंबर को नारायण मंगलवार के दिन श्री हरि नारायण अपने ब्रह्मांड के लोक कल्याणकारी कार्यों में लग जाएंगे। इस दिन, संध्या में पूर्ण रूप से विश्राम त्याग कर भगवान नारायण अपने कार्यों में जुट जाएंगे।
पं. जय किशोर मिश्र ने आगे बताया कि 13 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त में सभी सनातनी अपने घर के देवालय में श्री नारायण का विवाह तुलसी जी से संपन्न करेंगे। इस दिन विशेष रूप से एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। इसमें तुलसी पत्र, बेलपत्र और धात्री फल से पारण किया जाएगा। इसके बाद 14 नवंबर को संध्या काल में भगवान भोलेनाथ भी अपना चार माह का सायन त्याग कर अपने कार्यों में लग जाएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन श्री हरि नारायण ने ब्राह्मण बनकर तुलसी पत्र और मंजरी के साथ बाबा विश्वनाथ का महा श्रृंगार पूजन किया और दीपदान किया था। यह रहस्य लक्ष्मी नारायण और शिव भवानी के बीच का माना जाता है।
पं. जय किशोर मिश्र ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी सनातनी इस दिन हरिहर गंगे का स्मरण करते हुए गंगा स्नान करते हैं या गंगाजल मिश्रित जल से पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। घर की गृहिणियाँ जलाशय, वृक्ष और देवालय में दीपदान करती हैं। वहीं, बहने अपने भाई की मंगल कामना के लिए श्यामा चकवा का विसर्जन करती हैं।
उन्होंने बताया कि कार्तिक माह की समाप्ति देव दीपोत्सव के साथ होती है जो देवताओं के कार्यों के आरंभ का प्रतीक है। इस दिन गुरु नानक जी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। पं. जय किशोर मिश्र ने कहा कि कार्तिक माह का शुभारंभ मानवीय मंगल कामनाओं के दीप से होता है और समापन देवताओं की ओर से देव दीपोत्सव से होता है जो सभी शुभ कार्यों का आरंभ करते हैं।