दलाई लामा के 90वें जन्मोत्सव पर शांति का संदेश, संसद में संबोधन की उठी मांग
- Post By Admin on Jul 06 2025

मुजफ्फरपुर : परम पावन दलाई लामा के 90वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में रविवार को श्रीकृष्णा जुबिली लॉ कॉलेज में 'प्रेम, करुणा और शांति' विषय पर विचार-विमर्श का आयोजन किया गया। भारत-तिब्बत मैत्री संघ, मुजफ्फरपुर के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन महासचिव प्रभात कुमार ने किया जबकि विषय प्रवेश प्रोफेसर विश्व आनंद द्वारा कराया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने कहा कि आज के वैश्विक संकटों और युद्ध की आशंकाओं के बीच दलाई लामा जैसे आध्यात्मिक नेतृत्व की उपस्थिति शांति और आशा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा को महात्मा गांधी की अहिंसा परंपरा का आधुनिक उत्तराधिकारी माना गया है। उन्होंने दलाई लामा के वैश्विक प्रेम, करुणा, सहअस्तित्व और धार्मिक संवाद की नीति को दुनिया के लिए अनुकरणीय बताया।
प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में दलाई लामा द्वारा वर्ष 2011 में लिए गए संकल्प का स्मरण किया, जिसमें उन्होंने अपने 90वें जन्मदिवस तक तिब्बती संस्था का नेतृत्व जारी रखने का संकेत दिया था। उन्होंने चीन के दमनकारी रवैये के विरुद्ध दलाई लामा के 'मध्यम मार्ग' की नीति को सराहा और भारत सरकार से हस्तक्षेप के नैतिक एवं राजनीतिक अधिकार के प्रयोग की बात कही।
भारत-तिब्बत मैत्री संघ, बिहार के अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र कुमार ने दलाई लामा को दीर्घायु की शुभकामनाएं देते हुए भारत सरकार से मांग की कि उन्हें भारतीय संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने का अवसर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम चीन के खिलाफ भारत की एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि होगी।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रीना झा ने किया। इस अवसर पर प्रो. अजीत कुमार, डॉ. धनंजय कुमार, डॉ. एच.के.पी. सिंह, सतीश कुमार साथी, अंबरीश कुमार सिंह और अनिल शंकर ठाकुर सहित कई प्रमुख बुद्धिजीवियों ने अपने विचार साझा किए।
इस गरिमामय समारोह में राजीव रंजन, रोहित सिंह, रमन कुमार, अंकित आनंद, श्याम सुंदर गुप्ता, समरेन्द्र कुमार, विनय प्रशांत, दिनेश प्रसाद सिंह, शंभू मोहन प्रसाद, कृष्ण कुमार, अभिषेक कुमार, बबली कुमारी, शिवानी कुमारी, सुमित प्रकाश, आयुष हर्षित सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
कार्यक्रम ने न केवल दलाई लामा के जीवन दर्शन को उजागर किया, बल्कि भारत-तिब्बत संबंधों को नए विमर्श के केंद्र में भी लाया।