देवशयनी एकादशी पर काशी में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, गंगा घाटों पर लगा आस्था का मेला

  • Post By Admin on Jul 06 2025
देवशयनी एकादशी पर काशी में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, गंगा घाटों पर लगा आस्था का मेला

वाराणसी : सनातन परंपरा में विशेष महत्व रखने वाली देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर रविवार को काशी के घाटों पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने दशाश्वमेध, अस्सी, राजघाट समेत विभिन्न गंगा घाटों पर पुण्य स्नान किया और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की।

भोर से ही घाटों पर हर-हर महादेव और नारायण-नारायण के जयघोष गूंजने लगे। श्रद्धालुओं ने गंगाजल से अभिषेक कर पीले फूल, तुलसी पत्र और पंचामृत अर्पित किए। कई भक्तों ने विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया तो कुछ ने दान-पुण्य कर पुण्य अर्जित किया।

प्रतापगढ़ से आए श्रद्धालु शिवम ने बताया, “इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और कई जन्मों के दोष समाप्त हो जाते हैं।” वहीं राजन कुमार ने कहा, “आज हम फलाहार करते हैं, व्रत रखते हैं और भगवान नारायण तथा भोलेनाथ की पूजा करते हैं।”

घाट के पुरोहित विवेकानंद पाण्डेय ने बताया कि आषाढ़ मास की एकादशी से ही चातुर्मास का शुभारंभ होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और आगामी चार माह तक भगवान शिव सृष्टि संचालन करते हैं। इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।

पूरे दिन गंगा घाटों पर श्रद्धालु डुबकी लगाकर आत्मशुद्धि करते रहे। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों में इस दिन को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। घाटों पर भक्ति और संयम की भावनाओं के साथ लोग पूजा करते नजर आए।

देवशयनी एकादशी से आरंभ हुआ यह चातुर्मास काल अब 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागरण के साथ संपन्न होगा। इस अवधि में भक्त अधिकतर व्रत, पूजा और साधना में लीन रहते हैं।

काशी में यह पर्व धार्मिक आस्था और अध्यात्म का प्रतीक बनकर हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं की गहरी भक्ति को दर्शाता नजर आया।