कार्तिक शुक्ल पक्ष की शुरुआत, गोवर्धन पूजा एवं राजा बलि का महत्त्वपूर्ण स्मरण
- Post By Admin on Nov 02 2024

मुजफ्फरपुर : 2 नवंबर 2024, शनिवार से कार्तिक शुक्ल पक्ष का आरंभ हो गया है। इस पवित्र पक्ष को भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से 'पुण्य और अमृत की त्रिवेणी' के रूप में वर्णित किया था। द्वापर युग में, श्रीकृष्ण के द्वारका आगमन से यहाँ नववर्ष का आरंभ हुआ। पं. जय किशोर मिश्र के अनुसार, इस पक्ष में स्वाति और विशाखा नक्षत्रों का विशेष प्रभाव होता है, जो वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
उन्होंने बताया कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इन्द्र के प्रकोप से वृजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया था। इस घटना के स्मरण में हर वर्ष गोवर्धन पूजा होती है, जिसे कई स्थानों पर 'पखेव सनहाना-गेधन' के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर पशुधन और कृषि उपकरणों की पूजा की जाती है, ताकि ठंड के मौसम में पशुधन सुरक्षित रहे।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि आज का दिन दानवीर राजा बलि की भक्ति और उदारता का प्रतीक भी है। बलि, जो भगवान वामन के परम भक्त थे, ने अपने सर्वस्व को नारायण के चरणों में अर्पित कर दिया था और इसी कारण उन्हें "दानवीर" के रूप में स्मरण किया जाता है।
कालीदास जयंती :
पं. मिश्र के अनुसार, आज आदिशक्ति के परम उपासक और महान कवि महाकवि कालीदास की जन्मजयंती भी है, जो शक्ति उपासना के प्रति उनकी असीम भक्ति को दर्शाती है। कालीदास के काव्य में देवी के प्रति उनकी अनन्य श्रद्धा झलकती है, जिसे संपूर्ण भारत में आदर से स्मरण किया जाता है।
56 भोग की परंपरा :
उन्होंने बताया कि आज संध्या में श्रीहरिनारायण को 56 व्यंजनों का भोग अर्पण करने की परंपरा है। लोग अपने घरों में शुद्ध-सात्विक व्यंजन बनाकर भगवान के समक्ष अर्पित करते हैं और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
पं. जय किशोर मिश्र ने कहा कि यह समय न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि कृषि और पशुधन की सुरक्षा और प्राचीन भारतीय परंपराओं का भी गहरा महत्व रखता है।