कांग्रेस का गिरता ग्राफ, भाजपा का उभार : 1952 से 2025 तक पलटती बिहार की राजनीति

  • Post By Admin on Nov 14 2025
कांग्रेस का गिरता ग्राफ, भाजपा का उभार : 1952 से 2025 तक पलटती बिहार की राजनीति

पटना : बिहार की राजनीति एक बार फिर बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव के ताज़ा रुझान इस बात की पुष्टि करते हैं कि मतदाताओं ने किसी भी तरह की त्रिशंकु स्थिति की संभावना को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट जनादेश दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणियों को धता बताते हुए जनता ने यह तय कर दिया है कि राज्य की कमान किसके हाथ में होगी।

इस बार का जनादेश नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को अब तक का सबसे मजबूत समर्थन दे रहा है। दोपहर तक के रुझानों ने साफ कर दिया है कि राजद-कांग्रेस के महागठबंधन को अपनी सबसे करारी हारों में से एक का सामना करना पड़ सकता है।

एनडीए का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन—कड़ी मेहनत का नतीजा

रुझान बताते हैं कि भाजपा-जदयू गठबंधन का स्ट्राइक रेट 80 से 90 प्रतिशत से ऊपर चल रहा है—बिहार की राजनीति में इस तरह की तालमेल वाली जीत पहले कभी देखने को नहीं मिली। यह सफलता अचानक नहीं आई; वर्षों की जमीनी रणनीति, संगठन विस्तार और सामाजिक समीकरणों को साधने के बाद यह नतीजा सामने आया है।

1952 से 2025: कांग्रेस की ढलान, भाजपा का उभार

आज़ादी के बाद 1952 के पहले चुनाव में 239 सीटों के साथ बिहार में कांग्रेस अजेय थी। उसे तब 41% से ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन आज वही पार्टी सिंगल डिजिट सीटों में सिमट गई है और उसका वोट शेयर भी 10% से नीचे पहुंच चुका है।

कांग्रेस का पतन 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब भाजपा के प्रवेश ने हिंदू-मलयाली बेल्ट की राजनीति में नया आयाम जोड़ा। फिर 1990 में लालू प्रसाद यादव की राजनीति के उदय ने कांग्रेस की जमीन लगभग खत्म कर दी।

  • 1990: जनता दल 25.61% वोट के साथ आगे, कांग्रेस 24.78% पर सिमटी

  • 2000: कांग्रेस 11% वोट शेयर पर

  • 2005: सिर्फ 5% वोट और 10 सीटें

  • 2010: कांग्रेस मात्र 4 सीटों पर

कभी बिहार की राजनीति की धुरी रही कांग्रेस आज पुनरुत्थान के मुश्किल मोड़ पर खड़ी है।

उधर भाजपा का वोट बैंक लगातार चढ़ता गया

भाजपा ने 1980 में बिहार में सिर्फ 21 सीटों और 8% वोट के साथ शुरुआत की थी, लेकिन यह ग्राफ पिछले चार दशकों में लगातार ऊपर गया है।

मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व में भाजपा ने बिहार में अपना वोट शेयर और मजबूत किया, जिसमें 2014 के बाद उल्लेखनीय उछाल देखा गया। आज भाजपा बिहार में अपने सबसे मजबूत चरण से गुजर रही है।

महिला मतदाता बने गेमचेंजर

2025 के चुनावों में 67.13% मतदान हुआ, जो बिहार के इतिहास का सबसे ऊंचा प्रतिशत है। खास बात यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने 9% अधिक वोट डालकर रिकॉर्ड बनाया। नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोनों की महिला-केन्द्रित नीतियों का असर सीधे इस वोटिंग पैटर्न में दिखा, जिसने एनडीए के जनादेश को और मजबूती दी।

बिहार की राजनीति का निर्णायक मोड़

20 साल के सत्ता-विरोध की आशंकाओं के बीच नीतीश सरकार को ऐतिहासिक समर्थन मिलना बिहार की जनता के राजनीतिक परिपक्वता और चुनावी प्राथमिकताओं में बड़े बदलाव का संकेत देता है।

बिहार में इससे पहले इतना निर्णायक रुझान 1977 में देखने को मिला था, जब कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में जेपी आंदोलन ने 42% से अधिक वोट के साथ कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था।

2025 का यह जनादेश बिहार के इतिहास में एक और बड़ा राजनीतिक मोड़ बन सकता है—जहां कांग्रेस का युग पीछे छूटता दिख रहा है और भाजपा-एनडीए गठबंधन एक नए राजनीतिक संतुलन की तरफ बढ़ रहा है।