गर्भासन से बढ़ेगी शारीरिक मजबूती और मानसिक शांति, जानें इसके फायदे और सही विधि
- Post By Admin on Dec 05 2025
नई दिल्ली : योग को भारतीय संस्कृति में शरीर और मन को संतुलित रखने का सर्वोत्तम माध्यम माना जाता है। नियमित योगाभ्यास जहां शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है, वहीं मानसिक तनाव को भी दूर करता है। इन्हीं महत्वपूर्ण आसनों में से एक है ‘गर्भासन’, जिसे अभ्यास करने से स्थिरता, शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।
गर्भासन शब्द ‘गर्भ’ (भ्रूण) और ‘आसन’ से मिलकर बना है। इस आसन को करते समय शरीर की मुद्रा भ्रूण जैसी प्रतीत होती है, इसलिए इसे गर्भासन कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह आसन तनाव और चिंता को कम करके एकाग्रता बढ़ाने में अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
गर्भासन करने से पहले कुछ दिनों तक कुक्कटासन का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर में संतुलन और लचीलापन बढ़ सके। अभ्यास की विधि में योगा मैट पर पद्मासन में बैठकर जांघों और पिंडलियों के बीच हाथों को डालकर कोहनियां बाहर निकालनी होती हैं। इसके बाद कोहनियों को मोड़ते हुए कान पकड़ने की कोशिश की जाती है। इस आसन में पूरे शरीर का भार कूल्हों पर रहता है और स्वाभाविक श्वास के साथ संतुलन बनाए रखना होता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, नियमित गर्भासन अभ्यास से मानसिक शांति मिलती है, तनाव कम होता है और पीठ के निचले हिस्से में आराम मिलता है। यह प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के साथ रक्त संचार को भी बेहतर बनाता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्भासन शारीरिक लचीलेपन और बैलेंस को बढ़ाता है। इसके अभ्यास से कलाई, भुजाएं, पैर, कंधे और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है, साथ ही कूल्हों और घुटनों में होने वाली दिक्कतों में भी राहत मिलती है।
हालांकि, यदि शरीर में किसी प्रकार का घाव या गंभीर दर्द हो तो इस आसन का अभ्यास करने से परहेज करना चाहिए।