त्वचा से लेकर पाचन तक फायदेमंद है आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी कृष्ण सारिवा, जानिए कैसे करती है बीमारियों से रक्षा
- Post By Admin on Aug 08 2025
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नई दिल्ली : आयुर्वेद में खास महत्व रखने वाली जड़ी-बूटी कृष्ण सारिवा, जिसे आमतौर पर अनंतमूल या भारतीय सारसपैरिला भी कहा जाता है, स्वास्थ्य के कई आयामों में चमत्कारिक लाभ प्रदान करती है। इसका वैज्ञानिक नाम 'इचनोकार्पस फ्रूटेसेंस' है और यह एपोसाइनेसी परिवार की प्रमुख जड़ी-बूटी है।
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता में इसे वात-पित्त शमन, रक्त शोधन और ज्वर हर गुणों से परिपूर्ण बताया गया है। पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग त्वचा रोगों जैसे दाद, खुजली, कुष्ठ और अन्य चर्म रोगों के उपचार में बड़े प्रभाव से किया जाता है। साथ ही, यह त्वचा की सूजन को कम करने और इंफ्लेमेशन में राहत देने में भी सहायक है।
कृष्ण सारिवा पाचन तंत्र के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यह अपच, दस्त और पेट की अन्य परेशानियों को दूर करने में मदद करता है। इसके काढ़े का सेवन बुखार, खासकर मलेरिया और टाइफाइड जैसे बार-बार होने वाले बुखारों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह मूत्र संबंधी विकार, गले की सूजन, आंखों के रोग और श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) में भी उपयोगी साबित होती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बवासीर के इलाज में भी कृष्ण सारिवा के चूर्ण का दही या छाछ के साथ सेवन लाभकारी होता है। हालांकि, इसका उपयोग हमेशा विशेषज्ञ की सलाह से और उचित मात्रा में ही करना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन चिकित्सकीय परामर्श के बिना नहीं करना चाहिए।
सदियों से आयुर्वेदिक उपचारों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली कृष्ण सारिवा आज भी स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का कारगर समाधान साबित हो रही है, जो प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने वाली एक बहुमूल्य देन है।