प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व अध्ययन के उपरांत रोजगार के विकल्प-एक संवाद विषय पर एक वार्ता का आयोजन

  • Post By Admin on Aug 20 2024
प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व अध्ययन के उपरांत रोजगार के विकल्प-एक संवाद विषय पर एक वार्ता का आयोजन

मुजफ्फरपुर : रामदयालु सिंह महाविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित "प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व अध्ययन के उपरांत रोजगार के विकल्प - एक संवाद" विषय पर एक वार्ता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. बदर आरा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व एक ऐसी ऐतिहासिक शाखा है जो विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। इसमें अतीत और वर्तमान के बीच वैज्ञानिक संवाद की निरंतरता को समझने के लिए गहन अध्ययन और बेहतर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

डॉ. बदर आरा ने बताया कि प्राचीन इतिहास का अध्ययन करना मानव जाति के संपूर्ण विकास को समझने जैसा है। वर्तमान समय में इस क्षेत्र में करियर के कई उत्कृष्ट विकल्प उपलब्ध हैं। आर्कियोलॉजी, एक प्रमुख करियर विकल्प के रूप में, खुदाई, इमारतों, कला और शिल्प, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में अवसर प्रदान करता है। उन्होंने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, इंडियन आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, और राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसी संस्थाओं में भी रोजगार के बेहतरीन विकल्पों की जानकारी दी।

इसके अलावा, डॉ. बदर आरा ने पुरातत्व प्रशिक्षक, ऑनलाइन सर्च विशेषज्ञ, पुरातत्व विज्ञान प्रयोगशाला सहायक, हेरिटेज कंजर्वेटर, रिसर्च असिस्टेंट, संग्रहालयों में क्यूरेटर, हेरिटेज मैनेजर, और कल्चरल रिसोर्स स्पेशलिस्ट जैसे पदों पर राज्य और केंद्र सरकार, विश्वविद्यालयों में नौकरी के असीमित संभावनाओं की चर्चा की।

कार्यक्रम में इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. एम एन रजवी, डॉ. अजमत अली, डॉ. ललित किशोर, डॉ. मनीष कुमार शर्मा, विनय तिवारी, और प्राचीन भारतीय इतिहास के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। मंच संचालन और स्वागत डॉ. एम एन रजवी द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ललित किशोर ने किया।