आईएएस अफसर ने 14 साल में सिर्फ ऑफिस और घर की तय की दूरी
- Post By Admin on Dec 23 2024

भोपाल : मध्य प्रदेश की 2011 बैच की आईएएस अफसर नेहा मारव्या ने अपनी 14 साल की सरकारी सेवा के दौरान फील्ड पोस्टिंग न मिलने को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। आईएएस अधिकारियों की बैठक के दौरान नेहा ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक भावुक संदेश साझा किया। जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें अब तक एक बार भी फील्ड पोस्टिंग का अवसर नहीं मिला। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पिछले नौ महीनों से उन्हें सिर्फ ऑफिस और घर के बीच की दूरी तय करनी पड़ रही है।
नेहा का बेबाक बयान
नेहा मारव्या का यह बयान आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप में आया। जहां 20 दिसंबर से 23 दिसंबर तक आईएएस अधिकारियों की एक मीटिंग चल रही थी। इस मीटिंग में उन्होंने खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर की और बताया कि 14 साल की नौकरी में उन्हें कभी भी फील्ड पोस्टिंग का अनुभव नहीं मिला। उन्होंने लिखा, “ऐसे में मेरे जैसे आईएएस का करियर कैसे संतुलित होगा?” यह बयान तब आया जब एक अन्य अफसर ने सीधी भर्ती आईएएस अफसरों के लिए 14 साल में चार साल कलेक्टरी में पोस्टिंग की बात की थी।
फील्ड पोस्टिंग का महत्व
वास्तव में इस मीटिंग में एक अफसर ने यह सुझाव दिया था कि सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों को अपनी पहली 14 साल की सेवा में कम से कम चार साल कलेक्टर के पद पर काम करना चाहिए। इस अनुभव से उन्हें फील्ड की वास्तविकताओं, सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों और राज्य की समस्याओं को समझने में मदद मिलती है जो उनके भविष्य के प्रशासनिक फैसलों में अहम भूमिका निभाती हैं।
नेहा मारव्या का करियर : विवाद और बेबाकी
नेहा मारव्या अपने फैसलों पर अडिग रहने के लिए जानी जाती हैं। उनका नाम कई बार विवादों में भी आया है। एक प्रमुख विवाद में जब उन्होंने आजीविका मिशन घोटाले की जांच की तो वरिष्ठ अधिकारियों ने दोषियों को बचाने के लिए उन पर दबाव डाला लेकिन नेहा ने दबाव के बावजूद अपनी बात पर अडिग रहते हुए सही कार्यवाही की। जिसके परिणामस्वरूप उनका तबादला दूसरे विभाग में कर दिया गया। यह उनका साहस और ईमानदारी का प्रतीक था लेकिन उन्हें इसके लिए सजा भी मिली।
बिना काम के राजस्व विभाग में पोस्टिंग
नेहा मारव्या ने बताया कि उनके लिए काम के अवसर बहुत कम हो गए हैं। उन्हें साढ़े तीन साल तक पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में उपसचिव के पद पर बैठाया गया लेकिन इसके बाद उन्हें ढाई साल से राजस्व विभाग में बिना किसी महत्वपूर्ण कार्य के उपसचिव बना दिया गया। वह पिछले नौ महीनों से बिना काम के केवल ऑफिस और घर की दूरी तय कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह से उन्हें “दीवारों में कैद” किया गया है।
आलोचनात्मक टिप्पणी
नेहा के बयान ने यह सवाल उठाया है कि क्या एक आईएएस अधिकारी का करियर केवल प्रशासनिक दायित्वों तक सीमित रहना चाहिए या फिर उन्हें राज्यों के विकास के लिए फील्ड में भी सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए ? उनकी यह बात उस समय आई है जब प्रशासनिक सेवाओं में कई युवा और बेबाक अधिकारी अपने अनुभवों और काम के अवसरों की मांग कर रहे हैं।