ब्रिटिश काल के कानून थे आधुनिक भारत की प्रगति में बड़ी बाधा : पीएम मोदी
- Post By Admin on Aug 06 2025
 
                    
                    नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘कर्तव्य भवन’ के उद्घाटन समारोह में ब्रिटिश काल के कानूनों को समाप्त करने की अपनी सरकार की पहल को भारत के विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई कानून दशकों से देश की प्रगति में बाधा बने हुए थे।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "भ्रष्टाचार और लीकेज के साथ-साथ पुराने और गैरजरूरी नियम-कानून भी आम नागरिक के लिए परेशानी का कारण थे। ये कानून सिर्फ प्रक्रियाओं को जटिल बनाते थे और निर्णय लेने की गति को प्रभावित करते थे।"
उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में 1,500 से अधिक ऐसे कानून रद्द किए गए हैं, जिनमें से कई अंग्रेजों के जमाने के थे। इनका आज के भारत से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी ये नागरिकों पर अनावश्यक बोझ डाल रहे थे।
अनुपालन के बोझ से मुक्ति की दिशा में भी पहल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने 40,000 से अधिक अनुपालनों (Compliance Burden) को भी खत्म किया है। उन्होंने बताया कि किसी भी छोटे या बड़े काम के लिए पहले दर्जनों दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती थी, जो अब लगातार कम की जा रही है।
सरकारी कार्यसंस्कृति में सुधार की दिशा में मिशन कर्मयोगी
पीएम मोदी ने ‘मिशन कर्मयोगी’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह पहल सरकारी कर्मचारियों को तकनीकी रूप से सक्षम बना रही है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि फाइलों को सिर्फ कागज का टुकड़ा न समझा जाए, बल्कि उन्हें नागरिकों की उम्मीद और अधिकार के प्रतीक के रूप में देखा जाए।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने पिछले 11 वर्षों में एक ऐसा शासन मॉडल विकसित किया है, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों की भागीदारी पर आधारित है।” उन्होंने जनधन, आधार और मोबाइल की त्रिमूर्ति को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि “यह मॉडल दुनिया भर में सराहना बटोर रहा है, क्योंकि इसने सरकारी योजनाओं में लीकेज को काफी हद तक खत्म किया है।”
पीएम मोदी ने जताई भविष्य के प्रति चिंता और संकल्प
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, “कई देश जो भारत के साथ स्वतंत्र हुए, वह तेजी से आगे निकल गए। भारत ने यह गति देर से पकड़ी, लेकिन अब हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियों के लिए समस्याएं न छोड़ें। आज हमारे कंधों पर जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की नींव को मज़बूत करें।”
 
                             
    .jpg) 
     
    