भय और प्रलोभन से बचिए, तभी बन सकते हैं उत्तम अधिकारी : प्रेमानंद महाराज
- Post By Admin on Jan 21 2025

संभल : संभल जिले के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया जो कि पुराने मंदिरों की खोजबीन के बाद चर्चा में आए थे। हाल ही में वे वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज से एकांतिक वार्ता की। इस दौरान प्रेमानंद महाराज ने डीएम को उत्तम अधिकारी बनने के कुछ महत्वपूर्ण उपदेश दिए और उनके कर्तव्यों के निर्वहन के लिए मार्गदर्शन किया।
भय और प्रलोभन से बचने का उपदेश
प्रेमानंद महाराज ने डीएम को सबसे पहले यह सलाह दी कि एक सच्चे और उत्तम अधिकारी बनने के लिए भय (डर) और प्रलोभन (लालच) से बचना चाहिए। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था, वह आज भी हर कर्मयोगी के लिए प्रासंगिक है। अर्जुन धर्मयुद्ध में भाग लेने से पहले संन्यास लेना चाहते थे। भगवान ने उन्हें यह बताया कि कर्तव्य का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार, डीएम को भी अपने कर्तव्य में पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करने की सलाह दी गई।
सेवा का महत्व और जीवन का उद्देश्य
महाराज ने आगे कहा कि सेवा केवल भगवान की कृपा से ही संभव है और इस सेवा को पूरी लगन से निभाना चाहिए। उन्होंने डीएम से कहा कि जैसे वे जिला प्रशासन को संभाल रहे हैं, वैसे ही संतों का काम उपदेश और भिक्षावृत्ति करना है। सभी को अपनी जगह पर सही सेवा करनी चाहिए और भगवान के स्मरण में जीवन व्यतीत करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जीवन का अंतिम लक्ष्य भगवान की प्राप्ति होना चाहिए। उन्होंने कहा, “आपका काम जिला संभालना है, जैसे हम भजन करते हैं, वैसे ही आपको अपने पद और जिम्मेदारी को निभाना है। यदि आप ईमानदारी से काम करेंगे, तो एक महात्मा की तरह आपके कर्मों का फल मिलेगा।”
जीवन में नशे से दूर रहने का संदेश
संत प्रेमानंद महाराज ने डीएम से यह भी पूछा कि क्या वे किसी प्रकार के नशे का सेवन करते हैं। इस पर डीएम ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे चाय भी नहीं पीते। उन्होंने यह भी बताया कि घर में प्रतिदिन शाम को डेढ़ घंटे गीता का पाठ किया जाता है और वे हर सुबह पूजा-अर्चना भी करते हैं।
भगवान की सेवा और राष्ट्र सेवा का संबंध
महाराज ने अंत में कहा कि भगवान की सेवा और राष्ट्र की सेवा में कोई अंतर नहीं है। जब आप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए नाम जपते हैं, तो यह कार्य भगवान की आराधना बन जाता है। इस प्रकार, डीएम के लिए उनका पद एक तपस्वी कार्य बन जाता है और इसके माध्यम से वे राष्ट्र सेवा भी कर सकते हैं। महाराज ने कहा कि भगवान की कृपा से ही ऐसे अच्छे अवसर और सेवा का मार्ग मिलता है और अगर सेवा सच्चे मन से की जाए तो वही जीवन की सच्ची सार्थकता है।
उत्तम अधिकारी बनने की दिशा में एक प्रेरणास्त्रोत उपदेश
यह वार्ता न केवल एक प्रशासनिक अधिकारी के लिए बल्कि हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा बन गई, जो अपने कर्तव्यों को ईमानदारी और निष्ठा से निभाने का संकल्प लें। महाराज के इस उपदेश ने डीएम राजेंद्र पेंसिया को अपने कर्तव्य पालन में और भी दृढ़ संकल्पित किया।