अब 9 कैरेट सोने पर भी हॉलमार्किंग अनिवार्य, सरकार ने सस्ते गोल्ड को लेकर बदले नियम
- Post By Admin on Jul 21 2025

नई दिल्ली : सोने की गिरती कीमतों के बीच सरकार ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए गोल्ड ज्वैलरी की खरीद-बिक्री से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। अब 9 कैरेट के सस्ते सोने की ज्वैलरी पर भी BIS हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है। यह नियम जुलाई 2025 से देशभर में लागू कर दिया गया है।
अब तक 9 कैरेट गोल्ड पर हॉलमार्किंग जरूरी नहीं थी, जिससे कम शुद्धता वाले गहनों में धोखाधड़ी की आशंका बनी रहती थी। लेकिन बीते कुछ महीनों में 24 और 22 कैरेट सोने की कीमतें आसमान छूने के कारण उपभोक्ता सस्ते विकल्प के रूप में 9 कैरेट सोने की ओर मुड़े हैं। इस बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।
क्या है नया नियम?
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अब 9 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी बिना BIS हॉलमार्क के नहीं बिकेगी।
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हॉलमार्किंग के बिना कोई भी ज्वैलर 9 कैरेट गहनों की बिक्री नहीं कर सकेगा।
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भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मुताबिक, यह निर्णय हॉलमार्किंग अधिनियम, 2016 के तहत लिया गया है।
उपभोक्ताओं को मिलेगा भरोसा
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को सोने की शुद्धता की गारंटी देना है। हॉलमार्किंग यह सुनिश्चित करती है कि खरीदा गया सोना निर्धारित कैरेट का ही है और उसमें मिलावट की संभावना नहीं के बराबर है।
सोने के दाम गिरने से बढ़ी सस्ते गोल्ड की डिमांड
वर्तमान में सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे ग्राहकों को थोड़ी राहत मिली है। इसी के चलते 9 कैरेट सोने के गहनों की बिक्री में इजाफा हुआ है। क्योंकि यह सस्ता होने के साथ-साथ आकर्षक डिजाइन में भी उपलब्ध होता है।
अब BIS हॉलमार्क के साथ मिलेंगे ये कैरेट वैरिएंट्स
अब तक बाजार में 24K, 23K, 22K, 20K, 18K और 14K हॉलमार्केड ज्वैलरी उपलब्ध थी। लेकिन अब 9 कैरेट (9K) को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।
सरकार का उद्देश्य
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि, “इस बदलाव का उद्देश्य है कि चाहे उपभोक्ता महंगा सोना खरीदे या सस्ता, उसे हर स्तर पर प्रमाणित और शुद्ध धातु मिले। अब 9 कैरेट सोना भी मानकों के अधीन होगा, जिससे ज्वैलरी की पारदर्शिता और ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा।”
इस फैसले के बाद अब ग्राहक सस्ते सोने की खरीदारी भी सावधानी और भरोसे के साथ कर सकेंगे। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ज्वैलरी सेक्टर में मानकीकरण बढ़ेगा और उपभोक्ता हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी।