अगले 5-6 वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपए का होगा भारत का माइक्रोफाइनेंस सेक्टर : रिपोर्ट
- Post By Admin on Jul 21 2025

मुंबई : भारत का माइक्रोफाइनेंस सेक्टर आने वाले वर्षों में वित्तीय समावेशन की नई ऊंचाइयों को छूने वाला है। एवेंडस कैपिटल की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, यह सेक्टर 15% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से आगे बढ़ते हुए अगले 5 से 6 सालों में 10 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गिरावट के कुछ दौरों के बावजूद सेक्टर ने जबरदस्त लचीलापन दिखाया है और अब एक नई तेजी के लिए तैयार है। मजबूत नियामक पहरेदारी, क्रेडिट अनुशासन और ऑपरेशनल री-इंजीनियरिंग ने इस सेक्टर को मजबूती दी है।
ये प्रमुख कारण बना रहे हैं माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को ताकतवर
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AI आधारित तकनीक से बेहतर हुआ डेटा विश्लेषण और ऋण स्वीकृति
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ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में बढ़ती पकड़
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नए उधारकर्ता (NTC) वर्ग की तेज़ी से बढ़ती भागीदारी
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MFIN सुरक्षा और CGFMU योजना जैसी नीतियों ने परिसंपत्तियों की गुणवत्ता को सुधारा
एवेंडस कैपिटल के एमडी अंशुल अग्रवाल के अनुसार, माइक्रोफाइनेंस सेक्टर ने हाल के वर्षों में मंदी के झटकों से भी तेज़ी से उबरने की क्षमता दिखाई है। उन्होंने कहा कि आज जो सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं, वे नीतिगत प्रयासों और सेक्टर की आत्मसुधार प्रक्रिया का परिणाम हैं।
संभावनाओं की जमीन तैयार
रिपोर्ट के अनुसार, देश के 16 राज्यों में AUM की पहुंच 35% तक ही सीमित है, जिससे साफ है कि सेक्टर में अब भी भारी विस्तार की गुंजाइश बनी हुई है। वहीं अनौपचारिक बाजारों में ऋण की लगातार मांग यह संकेत देती है कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है – ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन को गहरा करने का।
भारत का माइक्रोफाइनेंस सेक्टर न सिर्फ आर्थिक मजबूती की ओर बढ़ रहा है, बल्कि यह गरीब और वंचित तबकों को भी मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक प्रभावी माध्यम बनता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुमान अगर साकार होते हैं, तो यह सेक्टर भारत के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को बदलने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।