2030 तक 105 अरब डॉलर का होगा भारत का जीसीसी बाजार, बढ़ेगा वैश्विक प्रभुत्व
- Post By Admin on Dec 11 2025
नई दिल्ली : भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) का असर तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में यह सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा स्तंभ बनने की ओर है। ताज़ा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का जीसीसी उद्योग वर्ष 2030 तक 105 अरब डॉलर के स्तर को पार कर सकता है। यह वृद्धि सरकार की प्रगतिशील नीतियों, प्रतिभाशाली भारतीय कार्यबल और उन्नत आरएंडडी क्षमताओं के व्यापक विस्तार का नतीजा है।
वित्त वर्ष 2024 में देश के 1,700 से अधिक जीसीसी ने 64.6 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया और 19 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया। यह आय एफवाई19 के 40.4 अरब डॉलर की तुलना में लगभग 9.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है। अनुमान है कि 2030 तक जीसीसी की संख्या बढ़कर 2,400 हो सकती है और इनसे 28 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
जीसीसी वे केंद्र हैं, जिन्हें वैश्विक कंपनियां भारत जैसे देशों में अपनी प्रमुख तकनीकी और सेवा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित करती हैं। शुरुआत में जहां इन्हें बैक-ऑफिस संचालन के रूप में देखा जाता था, वहीं अब इनकी भूमिका इंजीनियरिंग आरएंडडी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और सेमीकंडक्टर जैसे उन्नत तकनीकी क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है। इंजीनियरिंग और रिसर्च से जुड़े जीसीसी अन्य इकाइयों की तुलना में 1.3 गुना तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
भारत के पास दुनिया की 28% एसटीईएम प्रतिभा और 23% वैश्विक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग वर्कफोर्स होने के कारण यह ग्लोबल कंपनियों का पसंदीदा गंतव्य बन गया है। अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक स्तर की भूमिकाएँ 6,500 से बढ़कर 30,000 से अधिक हो जाएँगी।
स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और फ्यूचर स्किल्स प्राइम जैसे कार्यक्रमों ने नए डिजिटल कौशल को बढ़ावा देकर जीसीसी विकास को मजबूत आधार दिया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, जीसीसी अब सिर्फ सपोर्ट सेंटर नहीं रह गए, बल्कि एयरोस्पेस, रक्षा और उन्नत विनिर्माण जैसे अहम क्षेत्रों में रणनीतिक भूमिका निभा रहे हैं।
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है, “जीसीसी अब कंपनी के सपोर्ट सेंटर से आगे बढ़कर स्ट्रैटेजिक सेंटर बन रहे हैं, और यह बदलाव बेहद तेज़ी से हो रहा है।”