विशाल मान वंदना यात्रा में दुर्गावाहिनी-मातृशक्ति का सशक्त संदेश
- Post By Admin on Mar 10 2025

पटना : विश्व हिन्दू परिषद की मातृ ईकाई दुर्गा वाहिनी - मातृशक्ति द्वारा विशाल मान वंदना यात्रा (पथ संचलन) का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन में सैकड़ों बहनों एवं माताओं ने भाग लिया और समाज में महिलाओं की सुरक्षा, सेवा एवं संस्कार के प्रति जागरूकता का संदेश दिया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता दुर्गावाहिनी क्षेत्र संयोजिका डॉ. शोभा रानी सिंह ने कहा कि दुर्गावाहिनी मातृशक्ति का ऐसा संगठित आयाम है, जो हिन्दू युवतियों को सशक्त बनाने और हिन्दू बेटियों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध रूप से कार्यरत है। यह संगठन सेवा, सुरक्षा और संस्कार के मूल मंत्र के साथ मातृशक्ति को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
वीरांगनाओं से प्रेरणा लेने का आह्वान
डॉ. शोभा रानी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होल्कर के 300वें और रानी दुर्गावती के 500वें जन्म जयंती वर्ष के अवसर पर हमें इन वीरांगनाओं के जीवन से प्रेरणा लेकर मातृशक्ति को और अधिक संगठित व सशक्त बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर, जिनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के चौड़ी गांव में हुआ था, मराठा साम्राज्य की एक सम्माननीय शासक थीं। उनकी वीरता, धार्मिकता और प्रशासनिक कुशलता ने उनके राज्य को न केवल समृद्ध बनाया बल्कि समाज सुधार की दिशा में भी उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया। उनके शासनकाल में काशी विश्वनाथ मंदिर सहित भारत के कई तीर्थ स्थलों पर मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया गया। वे एक कुशल सैन्य नेता भी थीं, जिन्होंने कई युद्धों में भाग लिया और अपनी रणनीति से मराठा साम्राज्य की रक्षा की।
इसी प्रकार रानी दुर्गावती, जो 1550 से 1564 तक गढ़ा राज्य की शासक थीं, ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने राज्य की रक्षा के लिए संघर्ष किया और कई युद्धों में शत्रुओं को पराजित किया। उनका विवाह गढ़ा राज्य के राजपूत राजा दलपत शाह से हुआ था। कम उम्र में ही उन्होंने राजकाज संभाला और अपने अद्भुत प्रशासनिक व युद्ध कौशल से अपने राज्य को सशक्त किया।
दुर्गा वाहिनी-मातृशक्ति का संकल्प
इस मान वंदना यात्रा के माध्यम से दुर्गा वाहिनी-मातृशक्ति ने हिन्दू संस्कृति, नारी सशक्तिकरण और समाज में नारी सम्मान को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया। पथ संचलन के दौरान महिलाओं और युवतियों ने एकजुट होकर यह संदेश दिया कि वे अपनी संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगी। यह आयोजन महिलाओं की शक्ति, समाज में उनकी भूमिका और उनके गौरवशाली इतिहास को पुनः स्मरण कराने का एक प्रेरणादायक मंच बना।