भीमा कोरेगांव युद्ध की 207वीं वर्षगांठ पर शौर्य दिवस आयोजित

  • Post By Admin on Jan 02 2025
भीमा कोरेगांव युद्ध की 207वीं वर्षगांठ पर शौर्य दिवस आयोजित

मोतिहारी : जिले के चकिया अनुमंडल क्षेत्र के बलवा डॉ. अम्बेडकर टोला बलवा में 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव युद्ध में महार रेजिमेंट की अप्रत्याशित जीत की 207वीं वर्षगांठ के अवसर पर “शौर्य दिवस” मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने भीमा कोरेगांव शौर्य स्तंभ पर पुष्प मालाएं चढ़ाकर भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें सैल्यूट समर्पित किया।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने युद्ध की ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डाला और बताया कि 1 जनवरी 1818 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में महार रेजिमेंट के 500 सैनिकों ने 28,000 पेशवाई सेनाओं को परास्त कर दिया था। यह युद्ध अत्याचार, अन्याय, जाति भेदभाव, शोषण और दमन के खिलाफ लड़ा गया था और इसने समाज में समानता और स्वतंत्रता की एक नई लहर को जन्म दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर बिंदा राम ने की

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर बिंदा राम ने की। जिन्होंने शौर्य दिवस के महत्व पर अपने विचार साझा किए और इस युद्ध की ऐतिहासिक भूमिका को याद किया। कार्यक्रम को भारतीय चमार महासंघ (BCM) के संस्थापक सदस्य एवं राष्ट्रीय सह संयोजक पारसनाथ अम्बेडकर, ओमप्रकाश अम्बेडकर, विजय कुमार ठाकुर, प्रसाद कुशवाहा, शिवाजी पासवान, विनय प्रकाश अम्बेडकर, संजय कुमार, गणेश प्रसाद कुशवाहा, रामनरेश भगत, कृष्णनंदन सहनी, रामावतार पासवान, महेश राम, सतीश भूषण कुमार, रमेश कुमार, संजय कुमार राम, रामाधार पंडित, महेश प्रसाद, भिखारी राम, विपिन कुशवाहा समेत अन्य प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया।

शौर्य दिवस का उद्देश्य और सामाजिक संदेश

वक्ताओं ने इस ऐतिहासिक युद्ध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह युद्ध केवल एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह भारतीय समाज के दबे-कुचले वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ा गया था। भीमा कोरेगांव की इस जीत ने भारतीय समाज में समानता, न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। यह दिवस समाज में फैले जातिवाद, भेदभाव और शोषण के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजने के रूप में मनाया जाता है।