लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, बिहार की संस्कृति में छाया शोक
- Post By Admin on Nov 05 2024
पटना: लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, बिहार की संस्कृति में छाया शोक बिहार की मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उन्हें 4 नवंबर को अचानक बिगड़ी तबीयत के चलते वेंटिलेटर पर रखा गया था। हाल ही में उनके पति बृज किशोर सिन्हा का निधन होने के बाद से ही वे गहरे सदमे में थीं, जिससे उनकी तबीयत भी बिगड़ती चली गई। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने उनके ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर लाइव आकर हेल्थ अपडेट दिया था। उन्होंने बताया था कि शारदा सिन्हा की हालत गंभीर है और डॉक्टर अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने की अपील की थी और अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह दी थी। लेकिन, दुखद समाचार यह है कि अब लोक संगीत की इस महान गायिका ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। कौन थीं शारदा सिन्हा? शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था। संगीतमय परिवार में जन्मी शारदा ने शास्त्रीय संगीत में अपनी शिक्षा पूरी की। उन्हें विशेष रूप से छठ पर्व के गीतों के लिए जाना जाता था। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने 1980 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से की, लेकिन उन्हें व्यापक प्रसिद्धि छठ के गीतों से ही मिली। उन्होंने भोजपुरी और मैथिली लोकगीतों को नई पहचान दी। सम्मान और बॉलीवुड योगदान शारदा सिन्हा को भारत सरकार द्वारा 1992 में पद्म श्री, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। बॉलीवुड में भी उन्होंने कई यादगार गीत दिए। सलमान खान की 'मैंने प्यार किया' का 'काहे तो से सजना', अनुराग कश्यप की 'गैंग्स ऑफ वासेपुर 2' का 'तार बिजली से पतले' और माधुरी दीक्षित की फिल्म 'हम आपके हैं कौन' का 'बाबुल' गीत उनकी गायन की विरासत का हिस्सा हैं। रात्रि 10:15 बजे, उनके बेटे अंशुमान ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, "आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं।" उनके निधन से बिहार और भारतीय संगीत में शोक की लहर दौड़ गई है, और संगीत प्रेमियों के दिलों में यह खालीपन हमेशा महसूस किया जाएगा।