तेलंगाना : वरिष्ठ भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी का निधन, राजनीति जगत में शोक की लहर

  • Post By Admin on Aug 23 2025
तेलंगाना : वरिष्ठ भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी का निधन, राजनीति जगत में शोक की लहर

हैदराबाद : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता सुरवरम सुधाकर रेड्डी का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। पार्टी सूत्रों ने शनिवार को इसकी पुष्टि की। उनके निधन की खबर से राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सुधाकर रेड्डी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नलगोंडा जिले के रहने वाले सुधाकर रेड्डी ने वामपंथी आंदोलनों और कई जनसंघर्षों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

रेवंत रेड्डी ने उन्हें एक महान नेता बताया, जो दो बार नलगोंडा से सांसद भी चुने गए। उन्होंने कहा कि देश ने एक असाधारण नेता खो दिया, जिसने भारतीय राजनीति पर अपनी अनूठी छाप छोड़ी।

उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने भी सुधाकर रेड्डी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने उनके सुदूर गांव से लेकर भाकपा के राष्ट्रीय नेतृत्व तक के सफर को याद किया। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और बीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव ने उन्हें ‘तेलंगाना की धरती का सपूत’ बताते हुए उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि सुधाकर रेड्डी ने अपने जीवन को विशेष रूप से उत्पीड़ित समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।

सुधाकर रेड्डी 83 वर्ष के थे। वे 2012 से 2019 तक पार्टी के महासचिव भी रहे। उन्होंने निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उनका वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों का इलाज चल रहा था।

सुधाकर रेड्डी के परिवार में उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी और दो बेटे हैं। उन्होंने 1998 और 2004 में नलगोंडा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार लोकसभा का चुनाव जीता।

25 मार्च, 1942 को तेलंगाना के महबूबनगर जिले के कांचुपाडु गांव में जन्मे सुधाकर रेड्डी स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसएफ) से की और बाद में कुरनूल के उस्मानिया कॉलेज से बी.ए. तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की।

सुधाकर रेड्डी के निधन से न केवल भाकपा बल्कि पूरे तेलंगाना में राजनीतिक और सामाजिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके योगदान और नेतृत्व को याद किया जाएगा।