राष्ट्रवादी चिंतक और आध्यात्मिक मनीषी के रूप में लोकमान्य तिलक का स्मरण
- Post By Admin on Jul 23 2024

मुजफ्फरपुर : लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की जयंती पर आयोजित एक संगोष्ठी में वक्ताओं ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता के साथ-साथ शिक्षा, संस्कृति और भारतीयता के प्रबल प्रतीक के रूप में याद किया। शुभानंदी के सभागार में आयोजित "तिलक का राष्ट्रवाद और मुजफ्फरपुर" विषयक संगोष्ठी में डॉ. संजय पंकज ने कहा कि तिलक भारत के प्रति अटूट निष्ठा रखने वाले महान कर्मयोगी और सच्चे राष्ट्र नायक थे।
डॉ. संजय पंकज ने लोकमान्य तिलक के मुजफ्फरपुर से संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि जब खुदीराम बोस ने अंग्रेजी दासता के खिलाफ बम धमाका किया था, तो तिलक ने "केसरी" में लेख लिखकर उनका समर्थन किया था। इस वजह से उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें छह वर्षों की सजा हुई। मांडले जेल में रहते हुए तिलक ने "गीता रहस्य" जैसा कालजयी ग्रंथ लिखा, जो गीता के कर्मवादी विश्लेषण पर आधारित है।
मधु मंगल ठाकुर ने कहा कि तिलक भारतीय ऋषि परंपरा की शैक्षिक व्यवस्था के पक्षधर थे और एक लोकप्रिय शिक्षक भी थे। संजीव साहू ने बताया कि मुजफ्फरपुर का तिलक मैदान उनकी स्मृति में बना है, जो यह प्रमाणित करता है कि तिलक यहां आए थे और बिहार विधानसभा के पहले सभापति रामदयाल बाबू के साथ रुके थे।
अविनाश तिरंगा उर्फ ऑक्सीजन बाबा ने कहा कि तिलक और स्वामी विवेकानंद कई बार मिले और भारतीय स्वतंत्रता के लिए चिंतित रहते थे। तिलक मुजफ्फरपुर में जन जागरण के लिए आए थे।
चैतन्य चैतन्य ने कहा कि तिलक के विचार युवाओं के लिए प्रेरक और मूल्यवान हैं। इस अवसर पर विचार व्यक्त करने वालों में प्रणय कुमार, अनिल मिश्रा, डॉ. केशव किशोर कनक, राकेश कुमार सिंह, श्यामल श्रीवास्तव, प्रेमभूषण, माला कुमारी, चेतना शर्मा, अभय कुमार, सुनील गुप्ता, अक्षय झा, और प्रशांत कुमार उपस्थित थे।