प्रकृति धर्म सबसे बड़ा धर्म : डॉ. धर्मेंद्र कुमार

  • Post By Admin on Jun 18 2024
प्रकृति धर्म सबसे बड़ा धर्म : डॉ. धर्मेंद्र कुमार

मुजफ्फरपुर : डॉ. धर्मेंद्र कुमार पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक, का मानना है कि सबसे बड़ा धर्म प्रकृति धर्म है। उन्होंने विस्तार से बताया कि प्रकृति धर्म का पालन करना हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है।

डॉ. कुमार ने कहा कि प्रकृति हमें अनमोल उपहार देती है और यह मानवता का आधार है। महात्मा गांधी भी प्रकृति के महत्व को समझते थे। उन्होंने कहा था कि प्रकृति हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है, लेकिन हमारी लालच की पूर्ति के लिए उसके पास साधन सीमित हैं।

प्रकृति हमारे जीवन का मूल है, जिसमें जल, मिट्टी, हवा, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और अन्य सभी जीव-जंतु शामिल हैं। हमारा अस्तित्व और कृषि का भविष्य प्रकृति के संरक्षण पर निर्भर करता है। प्रकृति में मौजूद सभी इकाइयां—चाहे वे प्राकृतिक संसाधन हों या जैव विविधता—हमारी खुशहाली और समृद्धि के लिए लगातार काम करती हैं।

डॉ. कुमार ने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक संसाधन और जैव विविधता, जैसे आकाश, धरती, हवा, पानी, जंगल, पहाड़, नदी, और झरने, हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।

प्रकृति की प्रत्येक इकाई अपना काम बखूबी निभाती है, चाहे वह पेड़-पौधे हों, पशु-पक्षी हों, या नदियाँ। लेकिन इंसान, लालच में आकर, प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। हमें भी पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और अन्य प्राकृतिक तत्वों से सीख लेकर अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए। हमें प्रकृति द्वारा दिए गए उपहारों की अहमियत को समझते हुए उनका संरक्षण करना चाहिए।

डॉ. कुमार ने बताया कि व्रत और रोज़ा का उद्देश्य केवल भूखा-प्यासा रहना नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के नि:शुल्क उपहारों की अहमियत को समझने और उन्हें संजोने की प्रक्रिया है। अगर हमें हवा, पानी या भोजन न मिले तो हम जिंदा नहीं रह सकते। इसीलिए हमें प्रकृति के उपहारों की कद्र करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, "प्रकृति के इन उपहारों को हमें संजोकर रखना चाहिए ताकि ये भविष्य में हमारे और आने वाली पीढ़ियों के लिए उपलब्ध रहें। हमें इन उपहारों का जिम्मेदारी से उपयोग करना चाहिए और हर पल इनका आभार व्यक्त करना चाहिए।"

प्रकृति की संरचना को बनाए रखने के लिए हमें उसके संसाधनों का सोच-समझकर उपयोग करना चाहिए। यह जीवन एक खूबसूरत और बेशकीमती तोहफा है, जिसे हमें खुशहाल तरीके से जीना चाहिए।

डॉ. कुमार ने प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनने और हर साल एक पौधा लगाने और उसे बड़ा करने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि "प्रकृति संरक्षित और सुरक्षित रहेगी, तभी हम और हमारी संस्कृति सुरक्षित रहेंगे।"

इस मौके पर उन्होंने सभी से प्रकृति धर्म का पालन करने और पर्यावरण के संरक्षण में योगदान देने का आह्वान किया।