पशु-पक्षियों की प्यास बुझाना सबसे बड़ा धर्म : पूनम
- Post By Admin on Jun 06 2024

मुजफ्फरपुर : गर्मियों के दौरान कई पक्षी और पशु पानी की कमी से मर जाते हैं। लोगों के थोड़े से प्रयास से इन परिंदों की प्यास बुझाई जा सकती है और उनकी जिंदगी बचाई जा सकती है। बिहार बाल भवन किलकारी की प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक, पूनम कुमारी, ने बताया कि बाल भवन के आसपास पक्षियों की चहचहाहट बनाए रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर पेंटिंग किए हुए गमले रखे गए हैं। बच्चे समय-समय पर इनमें पानी भरते हैं ताकि पक्षी और पशु अपनी प्यास बुझा सकें।
पूनम कुमारी ने कहा कि बचपन से ही पशु-पक्षियों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता आवश्यक है। इससे बच्चे पशु-पक्षियों और पर्यावरण से प्रेम करना सीखते हैं और उनका विशेष ख्याल रखते हैं।
सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी, स्नेहा कुमारी, ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ-साथ सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर लेता है, लेकिन पक्षी और पशु तपती गर्मी में पानी के लिए भटकते रहते हैं। अगर पानी न मिले तो वे बेहोश होकर गिर पड़ते हैं।
कठपुतली कलाकार, सुनील सरला, ने कहा कि गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है। मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी पानी मांगकर पी लेता है या खरीद लेता है, लेकिन पशु-पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने घर के आसपास, विशेष रूप से छत पर, गमले में पानी रखें ताकि पशु-पक्षियों की प्यास बुझाई जा सके और उनकी जान बचाई जा सके।