बिहार बाल भवन में सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का शुभारंभ

  • Post By Admin on Jun 24 2024
बिहार बाल भवन में सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का शुभारंभ

मुजफ्फरपुर : किलकारी बिहार बाल भवन, मुजफ्फरपुर में आयोजित तीन दिवसीय सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का पहला दिन बड़े जोश और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यशाला में लगभग 50 बच्चों ने भाग लिया, जहां उन्होंने कविता लेखन के मूलभूत गुर सीखे और अपनी कल्पनाओं को कागज पर उतारा।

पटना से आए किलकारी बिहार बाल भवन के विशेषज्ञ आकाश कुमार और मुनटुन राज के निर्देशन में बच्चों ने लेखन की बारीकियों को सीखा। प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक पूनम कुमारी ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों में साहित्यिक रुचि को प्रोत्साहित करना और उनकी लेखन क्षमता को निखारना है। सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी स्नेहा कुमारी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर चर्चा की और इसके संभावित लाभों के बारे में बताया।

कार्यशाला की शुरुआत बच्चों ने खेल गीत "खेल खेल के मस्ताने" से की, जो न केवल मनोरंजक था बल्कि बच्चों का ध्यान केंद्रित करने में भी सहायक रहा। इसके बाद, तीन नियमों पर आधारित कविता लेखन सत्र आयोजित किया गया, जिसमें बच्चों ने सृजनात्मकता और अनुशासन का अद्भुत मेल दिखाया। बच्चों ने स्वतंत्रता से अपनी कविताएँ लिखीं, जिनमें से 20 से अधिक कविताएँ रची गईं।

दूसरे सत्र में लेखन कार्यशाला के साथ-साथ खेल गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं, जिससे बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय रखा गया। "हेड एंड टेल" खेल पर आधारित कविता लेखन की गतिविधि में बच्चों ने नए अंदाज में कविताएँ लिखीं और अपनी लिखी कविताओं का पाठ किया, जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई।

कार्यशाला के दौरान बच्चों को उनके गृहकार्य के बारे में भी बताया गया ताकि वे अपने घर पर भी साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न रह सकें। कठपुतली प्रशिक्षक सुनील सरला ने कहा, "पहला दिन बच्चों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक था बल्कि उनके रचनात्मक विकास में भी महत्वपूर्ण साबित हुआ।"

बच्चों के उत्साह और उनकी कविताओं की गुणवत्ता ने यह साबित कर दिया कि सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से उनकी प्रतिभा को निखारा जा सकता है। प्रमंडल संसाधन सेवी नेहा कुमारी ने बताया कि बच्चों में साहित्य के प्रति बढ़ते उत्साह को देखते हुए सत्र की योजना बनाई गई थी, जो बेहद सफल रही।

इस सृजनात्मक लेखन कार्यशाला के पहले दिन की सफलता को देखते हुए, बच्चों और आयोजकों दोनों में आने वाले सत्रों को लेकर बड़ी उत्सुकता है। आयोजकों का मानना है कि इस तरह के सत्र बच्चों की लेखन क्षमता और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होंगे, और उनकी साहित्यिक रुचि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।