कठपुतली कला की संरक्षक श्रीमती शांति गुप्ता की विरासत को संजोने का प्रयास
- Post By Admin on Jun 19 2024

मुजफ्फरपुर : बिहार में जन्मी और कठपुतली कला को नई पहचान देने वाली श्रीमती शांति गुप्ता की कला को जीवित रखने के प्रयास जारी है। शांति गुप्ता ने अपने जीवन में विलुप्त हो रही लोक कला को पुनर्जीवित करने के लिए कठपुतली कला में महारथ हासिल की और नारी हस्तकला मंदिर, आजाद कुटीर, बेगूसराय की स्थापना की। उन्होंने भारतीय लोक कथाओं और पुराणों पर आधारित कठपुतलियाँ बनाकर देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किया।
24 अगस्त 2022 को 88 वर्ष की आयु में उनके निधन के बाद, उनके द्वारा बनाए गए कठपुतलियाँ घर के बक्सों में कैद हो गईं। उनकी पुत्री, पूर्व प्रोफेसर रानी गुप्ता (मगध महिला महाविद्यालय, पटना), उनकी कला को संरक्षित और आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त संस्थान की खोज कर रही थीं। मुजफ्फरपुर की अधिवक्ता और जिला बार एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष मुन्नी चौधरी ने सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के संयोजक, कठपुतली कलाकार सुनील सरला का सुझाव दिया। इसके बाद सुनील सरला को नारी हस्तकला मंदिर, आजाद कुटीर, बेगूसराय में आमंत्रित किया गया ताकि शांति गुप्ता की कला जीवित रह सके।
कठपुतली कलाकार सुनील सरला, बिहार बाल भवन किलकारी, मुजफ्फरपुर में बच्चों को कठपुतली कला का प्रशिक्षण दे रहे हैं। कभी-कभी उन्हें अन्य संस्थानों में भी कठपुतली कला की जानकारी देने के लिए बुलाया जाता है। शांति गुप्ता की स्मृति में सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान ने "पुरखा पुरनिया संवाद सह सम्मान" का आयोजन किया। इस आयोजन में बिहार के अद्वितीय नायकों और नायिकाओं को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।
इस पहल में चाइल्डसेफ के सचिव जयचंद्र कुमार, कठपुतली कला केन्द्र की सचिव प्रीति कुमारी, परफेक्ट सोल्यूशन सोसाइटी के सचिव अनिल कुमार ठाकुर, पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, और माधुरी यादव का सहयोग रहा।
बिहार बाल भवन किलकारी, जिला स्कूल छात्रावास, मुजफ्फरपुर में भी शांति गुप्ता की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि की तैयारी चल रही है। सुनील सरला ने शांति गुप्ता के जन्मदिन पर नवयुवक समिति, मुजफ्फरपुर में "ए ही माटी के शांति गुप्ता लोक रत्न के मिलल सेहरा, हमार देशवा अंगूठी के नगीना" गीत गाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, "किसी भी देश का विकास उसकी संस्कृति से होता है और संस्कृति का विकास लोक संस्कृति से।"