पूर्व डीएसपी रामचंद्र राम की आत्मकथा चमार टोली से डीएसपी टोला तक का लोकार्पण

  • Post By Admin on Aug 30 2024
पूर्व डीएसपी रामचंद्र राम की आत्मकथा चमार टोली से डीएसपी टोला तक का लोकार्पण

मुजफ्फरपुर : जिले के एक निजी होटल में पूर्व डीएसपी रामचंद्र राम की आत्मकथा "चमार टोली से डीएसपी टोला तक" का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि यह आत्मकथा केवल लेखक के जीवन संघर्ष का बयान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें समाज की विसंगतियों और विडंबनाओं को बखूबी उकेरा गया है। उन्होंने लेखक की संवेदनशीलता और पूर्वाग्रह रहित लेखन की प्रशंसा करते हुए कहा कि रामचंद्र राम ने अपने अनुभवों को ईमानदारी से इस पुस्तक में समेटा है।

समारोह की अध्यक्षता कर रहीं डॉ. पूनम सिन्हा ने पुस्तक के कई प्रसंगों की सराहना करते हुए कहा कि यह रचना समाज की विकृतियों और शिक्षा के प्रति समर्पण की कहानी को मार्मिक रूप में प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि रामचंद्र राम ने करुणा, सद्भाव और ईमानदारी के साथ इस पुस्तक को लिखा है, जो इसे एक अद्वितीय कृति बनाता है।

डॉ. संजय पंकज ने विषय प्रवेश कराते हुए समाज की रूढ़ियों, संकीर्णताओं और सामंती मानसिकता की आलोचना की और कहा कि लेखक ने अपने जीवन संघर्ष के माध्यम से समाज की बर्बरता और संवेदनहीनता को उजागर किया है। उन्होंने इस पुस्तक को इतिहास, समाजशास्त्र और सामाजिक जटिलताओं का प्रमाणिक दस्तावेज बताया।

विशिष्ट वक्ता डॉ. हरिनारायण ठाकुर ने कहा कि दलित साहित्य समाज की विद्रूप परंपराओं का चित्रण करता है और रामचंद्र राम की यह आत्मकथा भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करती है। उन्होंने लेखक की जन प्रतिबद्धता की सराहना की और कहा कि एक पुलिस अधिकारी होते हुए भी रामचंद्र राम ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।

डॉ. रंजीत पटेल, डॉ. शिवेंद्र मौर्य, डॉ. ब्रजभूषण मिश्र, और अन्य वक्ताओं ने भी पुस्तक के भाषा प्रवाह और अनुभवजन्य सृजन की प्रशंसा करते हुए इसे एक प्रेरणादायक कृति बताया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए पठनीय है।

पुस्तक के लेखक रामचंद्र राम ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों को शब्दों में ढालते समय कई बार अपने आंसुओं पर काबू नहीं पा सके। उन्होंने समाज से अपील की कि जातिसूचक संबोधनों से किसी व्यक्ति, टोला या गांव को पुकारना अनुचित है और इस पर विचार करना आवश्यक है। रामचंद्र राम ने इस पुस्तक को लिखते समय अपनी स्मृतियों में डूबने का जिक्र किया और कहा कि इसे आपके समक्ष प्रस्तुत करने में उन्हें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

इस अवसर पर समाजसेवी मुकुल, केपी पप्पू, मुकेश त्रिपाठी, अविनाश तिरंगा, राजीव कुमार, नीरज नयन, सुधांशु राज, डॉ. सोनी, सविता राज, डॉ. पुष्पा गुप्ता, डॉ. संगीता शाह, प्रो. अरुण कुमार सिंह, डॉ. हरिकिशोर प्रसाद सिंह सहित शताधिक गणमान्य लोग उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन के के कौशिक ने किया, जबकि सोनी सुमन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।