कठपुतली कला की पूरी दुनिया में बढ़ रही लोकप्रियता
- Post By Admin on Jul 01 2024

मुजफ्फरपुर : कठपुतली कला, जिसे भारत की प्राचीन धरोहर कहा जाता है, समय के साथ अपने जादुई आकर्षण को बनाए रखी है, लेकिन दुर्भाग्य से, इस कला की जानकारी हमारे देश में कम हो रही है। आज की नई पीढ़ी ने शायद ही कभी इसे देखा हो। सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के संयोजक और प्रसिद्ध कठपुतली कलाकार सुनील सरला बताते हैं कि कठपुतली कलाकार बनने के लिए व्यक्ति को निर्माता, मूर्तिकार, कलाकार, चित्रकार, पटकथा लेखक, इलेक्ट्रीशियन, साउंड इंजीनियर और प्रचारक के रूप में काम करना पड़ता है। यह एक ऐसी कला है जिसमें एक ही व्यक्ति को हर भूमिका निभानी पड़ती है, जो रचनात्मकता और सरलता का अद्भुत संगम है।
कठपुतली कला का इतिहास बहुत समृद्ध और विविध है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों को आकर्षित करती है। सरला बताते हैं कि पिछले पचास वर्षों में भारत में कठपुतली कला में कई नए प्रयोग हुए हैं, जिससे पुतुल खेल और पुतुल रंगमंच में नए कलाकार उभरे हैं। सरला का कहना है, "कठपुतली कला एक ऐसी कला है जो रचनात्मकता और सरलता का जश्न मनाती है। इस कला के प्रदर्शन में एक व्यक्ति को कई भूमिकाएं निभानी पड़ती हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।"
देश में जहां कठपुतली कला को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है, वहीं वैश्विक स्तर पर इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इस कला ने दुनिया भर में अपने अद्भुत प्रदर्शनों से दर्शकों का दिल जीत लिया है। सरला कहते हैं, "कठपुतली प्रदर्शन न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह शैक्षिक और व्यावहारिक अवसर भी प्रदान करता है। यह कला बच्चों को रचनात्मकता और सरलता का महत्व सिखाती है और वयस्कों को हमारे समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास की याद दिलाती है।"
कठपुतली कला को पुनर्जीवित करने के लिए शैक्षिक प्रदर्शनों और कार्यशालाओं का आयोजन जरूरी है, ताकि नई पीढ़ी इस अद्भुत कला को समझ सके और सराह सके। सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान इस दिशा में कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जिसमें परिवारों के लिए शैक्षिक और व्यावहारिक अवसर प्रदान किए जाते हैं।
मुजफ्फरपुर में कठपुतली कला को पुनर्जीवित करने और इसके बारे में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान कठपुतली कला के माध्यम से रचनात्मकता और सांस्कृतिक धरोहर का जश्न मना रहा है, और नई पीढ़ी को इस अद्भुत कला से परिचित कराने के लिए प्रयासरत है।