रामदयालु सिंह महाविद्यालय में आयोजित परिचर्चा में मुजफ्फरपुर के ऐतिहासिक योगदान पर चर्चा

  • Post By Admin on Nov 18 2024
रामदयालु सिंह महाविद्यालय में आयोजित परिचर्चा में मुजफ्फरपुर के ऐतिहासिक योगदान पर चर्चा

मुजफ्फरपुर: रामदयालु सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग द्वारा “मुजफ्फरपुर इतिहास के आईने में” विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. मोहम्मद सज्जाद ने मुजफ्फरपुर के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास के समृद्ध योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

प्रो. सज्जाद ने अपने संबोधन में कहा, “मुजफ्फरपुर का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास न केवल बिहार, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस जिले ने देश की स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।” उन्होंने महात्मा गांधी की 1920 और 1927 में मुजफ्फरपुर यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि इन यात्राओं ने इस क्षेत्र के लोगों में स्वाधीनता संग्राम के प्रति जागरूकता और आस्था को जागृत किया। महात्मा गांधी की इन यात्राओं ने यहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को बल दिया और स्वतंत्रता संग्राम को गति दी।

प्रो. सज्जाद ने मुजफ्फरपुर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी साझा किया और बताया कि इस जिले का ऐतिहासिक महत्व 18वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है, जब ब्रिटिश शासन के दौरान मुजफ्फरपुर की स्थापना हुई थी। उन्होंने बताया कि 1864 में इसे नगर पालिका का दर्जा दिया गया और तब से यह शहर अपने ऐतिहासिक और राजनीतिक योगदान के लिए जाना जाने लगा।

साथ ही उन्होंने क्रांतिकारियों का उल्लेख किया। जिनमें खासतौर पर खुदीराम बोस और जुब्बा साहनी जैसे स्वतंत्रता सेनानी शामिल हैं। जिन्होंने मुजफ्फरपुर को स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कर्मभूमि बनाया। 1930 के नमक आंदोलन से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक मुजफ्फरपुर के क्रांतिकारियों ने देश की आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रो. सज्जाद ने यह भी कहा कि मुजफ्फरपुर के राजनीतिक यात्रा पर और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. एम. एन. रजवी ने कहा, “मुजफ्फरपुर न केवल प्राचीन लिच्छवी राजाओं की राजधानी वैशाली के निकट स्थित है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक राजधानी भी मानी जाती है। इस शहर का समृद्ध इतिहास और विशिष्ट संस्कृति है, जो हिंदू और इस्लामी सभ्यताओं के संगम स्थल के रूप में पहचाना जाता है।” डॉ. रजवी ने छात्रों और युवाओं से इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने की अपील की और कहा कि मुजफ्फरपुर की सांस्कृतिक पहचान को बनाये रखने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए।

कार्यक्रम में इतिहास विभाग के अन्य शिक्षकों, डॉ. अनुपम कुमार, डॉ. अजमत अली, डॉ. ललित किशोर और डॉ. मनीष कुमार शर्मा सहित स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्रों ने भी भाग लिया। छात्रों ने मुजफ्फरपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर सवाल-जवाब सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया और इस शहर की गौरवमयी धरोहर को समझने की कोशिश की। यह कार्यक्रम मुजफ्फरपुर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक योगदान को समझने और उसे संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।