बिहार विधानसभा पर लोन माफी और महिलाओं के हक के लिए महिलाओं का समूह करेगा प्रदर्शन
- Post By Admin on Nov 14 2024
मुजफ्फरपुर : अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के नेतृत्व में आज बोचहां के मझौली पंचायत भवन में एक कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में बोचहां, आौरी और गायघाट की सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस मौके पर ऐपवा के राज्य कमेटी सदस्य और मुजफ्फरपुर जिले के सचिव रानी प्रसाद ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा महिलाओं के शोषण और उनके कर्ज माफी की जरूरत पर जोर दिया।
रानी प्रसाद ने कहा, “राज्य की लाखों गरीब महिलाएं जो जीविका समूह से जुड़ी हैं। उन्हें समय पर कर्ज नहीं मिल पाता, जिसके कारण उन्हें माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।” उन्होंने यह भी बताया कि इन कंपनियों द्वारा महिलाओं से अत्यधिक ब्याज दरों पर कर्ज लिया जाता है और उन्हें धमकी और प्रताड़ना दी जाती है। जिसके कारण कई महिलाएं आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गई हैं। रानी प्रसाद ने इस शोषण पर रोक लगाने और सरकार से महिलाओं के कर्ज माफी की मांग की।
ऐपवा के जिला अध्यक्ष बिजनेस यादव ने कहा कि जिस तरह से कॉर्पोरेट कंपनियों का कर्ज माफ किया जा रहा है। उसी तरह गरीब महिलाओं के समूह के लोन भी माफ किए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड की तर्ज पर बिहार में भी महिलाओं को ₹3000 मासिक पेंशन दी जानी चाहिए। इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बलात्कार जैसी घटनाओं पर कड़ी रोक लगाने की आवश्यकता जताई। इन सभी मुद्दों को लेकर 28 नवंबर 2024 को बिहार विधानसभा के समक्ष एक विशाल प्रदर्शन का आह्वान किया गया है।
सम्मेलन को भाकपा माले के बोचहां सचिव राम बालक सहनी, मुशहरी के सचिव विमलेश मिश्रा, औराई के सचिव मनोज यादव, माले नेता इंद्रजीत कुमार बबलू और अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भी संबोधित किया। इन नेताओं ने भी महिलाओं के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और उनके हक के लिए संघर्ष की आवश्यकता पर बल दिया।
सम्मेलन में ऐपवा कार्यकर्ता मंजू देवी, रीता देवी, फूलों देवी (बोचहां), माछो देवी, शोभित देवी, संगीता देवी, चन्द्रकला देवी (आवरी), प्रमिला देवी और मूर्ति देवी (गायघाट) ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इन कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों और शोषण की समस्या को उजागर किया और इसके खिलाफ संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।
ऐपवा द्वारा आयोजित यह सम्मेलन महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब 28 नवंबर को होने वाला प्रदर्शन यह तय करेगा कि राज्य सरकार इन समस्याओं को गंभीरता से लेकर महिलाओं के लिए ठोस कदम उठाती है या नहीं।