टीबी से उबरे गोपी ने ईंट-भट्टे के मजदूरों को दी सावधानी बरतने की सलाह

  • Post By Admin on Nov 29 2024
टीबी से उबरे गोपी ने ईंट-भट्टे के मजदूरों को दी सावधानी बरतने की सलाह

लखीसराय : जिले के पत्नेर गांव के निवासी गोपी कुमार अपने परिवार की आजीविका के लिए ईंट-भट्टे पर काम करते हैं। उन्होंने अपनी बीमारी के अनुभव को साझा करते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

गोपी ने बताया कि कुछ समय पहले उन्हें बुखार और खांसी की शिकायत हुई। इसे मामूली बीमारी समझकर उन्होंने स्थानीय डॉक्टर से इलाज करवाया। बुखार तो ठीक हो गया लेकिन खांसी बढ़ती गई। कमजोरी और काम करने में परेशानी होने के कारण उन्होंने ईंट-भट्टे पर जाना भी बंद कर दिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात गांव की आशा कार्यकर्ता पप्पी कुमारी से हुई। आशा दीदी ने उन्हें तुरंत सदर अस्पताल में बलगम की जांच कराने की सलाह दी।

जांच में गोपी को टीबी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उन्हें छह महीने तक लगातार दवा दी गई। दवाई आशा कार्यकर्ता के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध कराई गई। गोपी ने डॉक्टरों के निर्देश के अनुसार पूरी दवा ली और इलाज के बाद वह अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।

गोपी ने कहा, अब मैं ईंट-भट्टे पर काम करते समय गमछा का इस्तेमाल करता हूं, ताकि धूल और मिट्टी से बचाव हो सके। यह आदत सभी मजदूरों को अपनानी चाहिए।"

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने ईंट-भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "मजदूर काम के दौरान मास्क या गमछे का उपयोग करें ताकि धूल-कण से बचा जा सके। धूल और मिट्टी के कण फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे टीबी जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।" डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि यदि किसी को 15 दिनों से अधिक खांसी की समस्या हो, तो बलगम की जांच अवश्य कराएं। समय पर इलाज कराने से टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है।

सरकार की ओर से टीबी के इलाज के लिए निःशुल्क दवा और जांच की सुविधा उपलब्ध है। आशा कार्यकर्ता इस दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं। लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ वे समय पर मरीजों को दवा भी उपलब्ध कराती हैं।

गोपी की कहानी यह संदेश देती है कि सावधानी और समय पर इलाज से गंभीर बीमारियों को हराया जा सकता है। टीबी से बचाव और इलाज के लिए जागरूक रहना ही सबसे बड़ा उपाय है।