रंगमंच से जनसेवा तक—पटना पुस्तक मेला में मनीष महिवाल को मिला सम्मान
- Post By Admin on Dec 08 2025
पटना : पटना पुस्तक मेला में कलाकार और समाजसेवी मनीष महिवाल को उनके बहुआयामी सांस्कृतिक, नाट्य और सामाजिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वैशाली जिले में जन्मे मनीष बचपन से ही कला और खेलों से जुड़े रहे। स्कूल के नाटकों में भागीदारी और मोहल्ले के एक परिचित के माध्यम से इप्टा से जुड़ाव ने उनके रंगमंच सफर की शुरुआत की।
इप्टा सहित कई संस्थाओं के साथ जुड़कर मनीष महिवाल ने रोमियो-जूलियट, रक्त कल्याण, कैलिगुला, कबीरा खड़ा बाज़ार में, बुद्धं शरणं गच्छामिः, कोणार्क, अंधा मानव, सिपाही की माँ, चंडालिका समेत अनेक चर्चित नाटकों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं। नाटकों के अलावा उनका सफर फ़िल्मों, टीवी धारावाहिकों और वीडियो अल्बमों तक फैला—जहाँ उन्होंने हिंदी, भोजपुरी और मैथिली में कई प्रोजेक्ट किए।
मनीष ने विभिन्न टीवी चैनलों—दूरदर्शन पटना, महुआ टीवी, ई-टीवी, न्यूज़ 18 के कार्यक्रमों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनका शो ‘जनता एक्सप्रेस’ काफ़ी लोकप्रिय हुआ और उन्हें पहचान दिलाई।
वे “देसी पत्रकार” नामक न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से लगातार स्थानीय खबरें भी प्रस्तुत करते हैं, जिनकी प्रसारण सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर होती है।
2011 में मनीष महिवाल ने लोक पंच नामक सांस्कृतिक संस्था की स्थापना की, जिसके बैनर तले जागो रे किसान, जनता कर्फ्यू, बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ, नाट्य शिक्षक की बहाली और कातिल खेत जैसे सामाजिक संदेशों वाले नाटकों का मंचन पूरे बिहार में किया। उनकी पहल पर 2017 से शुरू “दशरथ माँझी नाट्य महोत्सव” बिहार के उन गाँवों तक रंगमंच लेकर गया, जहाँ अब तक थिएटर का प्रवेश नहीं था।
सिर्फ कला ही नहीं, सामाजिक सेवा में भी मनीष अग्रणी रहे। राहत मंच के माध्यम से उन्होंने गरीबों में कंबल, कपड़े, खाद्य सामग्री का वितरण किया। पटना के जलजमाव और कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों तक राशन, मास्क, सैनिटाइज़र पहुँचाने और वैक्सीनेशन कैंप आयोजित करने में अहम भूमिका निभाई।
वे वर्षों से “नाट्यकला” को विद्यालयों और महाविद्यालयों में विषय के रूप में लागू कराने और नाट्य शिक्षकों की बहाली की मांग उठाते आ रहे हैं। इस मुद्दे पर उनके नाटक ‘नाट्य शिक्षक की बहाली’ की सैकड़ों प्रस्तुतियाँ की जा चुकी हैं और कई विभागों में आवेदन भी दिए गए हैं। मनीष महिवाल वर्तमान में भी रंगमंच व सिनेमा दोनों में सक्रिय हैं।
पटना पुस्तक मेला में मिला यह सम्मान उनके लंबे और समर्पित सफर की महत्वपूर्ण स्वीकृति माना जा रहा है।