दवा कंपनी का करीब 27 लाख डकार गए डॉ. मधुर कुमार वर्मा
- Post By Admin on Feb 01 2025

- लेन-देन को लेकर डॉक्टर एवं दवा कंपनी के बीच ठनी
मोतिहारी : जिले के चर्चित चिकित्सक डॉ. मधुर कुमार वर्मा देश के प्रतिष्ठित दवा कंपनी इस्टीव फार्मा से हुए व्यवसायिक लेन-देन में बुरी तरह से फंस गए हैं। इस्टीव फार्मा के सीएमडी हिमांशु शेखर और शहर के चर्चित चिकित्सक डॉ. मधुर कुमार वर्मा के बीच दवा के लेन-देन को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। कंपनी का आरोप है कि डॉ. मधुर कुमार वर्मा ने करीब 26-27 लाख रुपये की दवाएं तो ले लीं, लेकिन भुगतान करने से इनकार कर दिया। जब कंपनी के सीएमडी हिमांशु शेखर ने दवा की कीमत मांगी, तो उल्टा उन पर ही मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
डॉक्टर पर पुलिस जांच में आरोप सही पाए गए, कोर्ट से बेल रिजेक्ट : हिमांशु शेखर
बकौल हिमांशु शेखर इस मामले में जब पुलिस जांच हुई, तब डॉ. मधुर कुमार वर्मा के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए। इसके बाद जब कोर्ट में उनकी जमानत अर्जी दाखिल की गई, तो सिविल कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। वहीं, दूसरी ओर हिमांशु शेखर को इस केस में तुरंत जमानत मिल गई, क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को पुलिस डायरी में गलत पाया गया था। इतना ही नहीं डॉक्टर साहब जीएसटी के भी डिफॉल्टर हैं। वह जीएसटी भी ठीक से जमा नहीं करते इसकी भी अगर उच्च स्तरीय जांच हो तब पता चलेगा कि डॉक्टर साहब सरकार का भी भारी टैक्स का नुकसान कर रहे हैं।
डॉक्टर का बचाव : दवा दुकान मेरी नहीं
पुलिसिया जांच में जब डॉ. मधुर कुमार वर्मा पर आरोप गंभीर और सही पाए गए, तब उन्होंने खुद को बचाने के लिए दावा किया कि जिस दवा दुकान की बात हो रही है, वह उनकी नहीं है। हालांकि, दवा कंपनी मालिक हिमांशु शेखर का कहना है कि यह दवा दुकान डॉ. वर्मा के ही क्लीनिक परिसर में चल रही थी और वे इसका संचालन कर रहे थे उन्होंने ही उनसे दवा की खरीद की बात की थी और शुरुआती दौर में एडवांस पैसे का लेनदेन भी उनके माध्यम से ही हुआ था जिसका डिजिटल साक्ष्य उनके पास मौजूद है।
व्यवसायी को राहत, न्यायालय ने डॉक्टर पर कसा शिकंजा
हिमांशु शेखर ने जब इस मामले में कोर्ट में बेल पेटिशन दाखिल किया, तो कोर्ट ने डॉ. मधुर कुमार वर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके अलावा, डॉक्टर ने एक अन्य व्यक्ति के नाम से दवा व्यवसायी के खिलाफ एक और परिवाद दायर करवा दिया, लेकिन कोर्ट ने अब तक उस पर संज्ञान नहीं लिया है।
हिमांशु शेखर ने मोतीहारी में व्यवसाय करने पर जताई निराशा
इस पूरे मामले के बाद दवा व्यवसायी हिमांशु शेखर ने कहा कि करीब 26-27 लाख रुपये का नुकसान केवल पैसों का नुकसान नहीं, बल्कि इससे सैकड़ों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि चंपारण की धरती गांधी जी की कर्मभूमि रही है, लेकिन यहां के एक व्यक्ति ऐसे कृत्य कर रहे हैं, जिससे इस पवित्र भूमि की छवि धूमिल हो रही है।
पुलिस जांच में डॉक्टर के आरोप संदिग्ध, सीसीटीवी फुटेज तक नहीं
पीड़ित दवा व्यवसायी ने कहा कि डॉ. मधुर कुमार वर्मा ने हिमांशु शेखर पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था, लेकिन पुलिस जांच में पाया गया कि जिस दिन यह कथित घटना हुई, उस दिन हिमांशु शेखर उत्तराखंड में थे। इसके अलावा, डॉक्टर के पास कोई सीसीटीवी फुटेज भी नहीं है, जिससे उनके आरोपों की सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं।
न्यायालय और पुलिस की सख्ती जारी
इस पूरे विवाद में पुलिस और न्यायालय का रुख बेहद सख्त दिखाई दे रहा है। डॉ. मधुर कुमार वर्मा के खिलाफ मामला मजबूत होता जा रहा है, जबकि दवा व्यवसायी हिमांशु शेखर को राहत मिली है। अब देखना होगा कि इस केस में आगे क्या नया मोड़ आता है। खैर, आगे जो हो लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि एक चिकित्सक ने खुद के स्वार्थ में पूरे चंपारण की छवि को धूमिल करने का काम किया है।