बास-भूमि को मौलिक अधिकार में शामिल करने की उठी मांग
- Post By Admin on Feb 18 2025
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पूर्वी चंपारण : मानवाधिकार एक्टिविस्ट एवं भूमि अधिकार आंदोलन के मुख्य संरक्षक विद्यानंद राम ने सोमवार को स्थानीय अम्बेडकर गोलंबर के निकट भूमि अधिकार आंदोलन (एलआरएम) के बैनर तले “बास-भूमि” के सवाल पर आयोजित महाधरना को संबोधित करते हुए कहा कि बास-भूमि को मौलिक अधिकार में शामिल की जाए।
उन्होंने कहा कि भूमिहीन व्यक्तियों की जीवन स्थिति खानाबदोश जैसी होती है और कभी-कभी उनके नागरिकता पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि महाधरना में जिले के विभिन्न प्रखंडों से भारी संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें पिछले 50-60 वर्षों से सरकारी और गैर-सरकारी भूमि पर बसने वाले लोग शामिल थे, जिनके पास भूमि का कोई अधिकार नहीं था।
महाधरना की अध्यक्षता करते हुए भूमि अधिकार आंदोलन (एलआरएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारसनाथ अम्बेडकर ने सरकार और प्रशासन पर भूमिहीनों की भारी उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार भूमिहीनों को बसाने के नाम पर उन्हें उजाड़ रही है। अम्बेडकर ने विशेष रूप से पूर्वी चंपारण जिले की स्थिति पर जोर देते हुए बताया कि यहां हजारों भूमिहीन लोग हैं, जिनके पास भूमि का कोई अधिकार नहीं है, जबकि वे कई दशकों से सरकारी और गैर-सरकारी भूमि पर अपने पूर्वजों से बसे हुए हैं।
अम्बेडकर ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे “बसेरा” और “दखल दिहानी” अभियानों को छलावा करार देते हुए, पर्चाधारियों को उनके भूमि पर अधिकार दिलाने के लिए टास्क फोर्स बनाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि बास-भूमि को मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए ताकि भूमिहीनों को स्थायी समाधान मिल सके।
इस महाधरना के बाद एक शिष्टमंडल ने जिला पदाधिकारी को सात सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा। इन मांगों में सभी भूमिहीनों को बासगीत पर्चा जारी करने, बास पर्चा/परवाना की भूमि पर दखल कब्जा दिलाने हेतु टास्क फोर्स का गठन करने, पर्चा या परवाना धारकों के खोए हुए कागजात की नकल देने और बास भूमि क्रय नीति की बजाय बास भूमि अधिग्रहण नीति बनाने की मांग शामिल थी। धरने में भूमि अधिकार आंदोलन के कई नेता और कार्यकर्ता, जैसे शम्भु राम, करीमन राम, सुरेश पासवान, किरण राम, उगम राम, हरेंद्र राम और अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।