देश के आंदोलनों में गूंजते हैं बी. प्रशांत के गीत

  • Post By Admin on Jun 18 2024
देश के आंदोलनों में गूंजते हैं बी. प्रशांत के गीत

मुजफ्फरपुर : सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा आयोजित 'पुरखा पुरनिया संवाद सह सम्मान' कार्यक्रम में मुजफ्फरपुर के अघोषित नायकों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन महान शख्सियतों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना है।

कार्यक्रम के संयोजक कठपुतली कलाकार सुनील सरला ने बताया कि बी. प्रशांत जैसे संवेदनशील कवि और गीतकार, जिन्होंने जनता के दर्द और हर्षोल्लास को अपने गीतों में पिरोया, हमेशा आंदोलनों और संघर्षों का हिस्सा रहे हैं। उनके गीत आज भी देश भर के आंदोलनों में गाए जाते हैं।

प्रशांत के गीतों की विशेषता यह है कि वे मेहनतकश जनता के संघर्ष और उनकी समस्याओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनके लोकप्रिय गीत "घर-घर में मचल कोहराम, ई झगड़ा कईसे मिटी।" में जनता की पीड़ा और सामाजिक असमानताओं को उजागर किया गया है।

सुनील सरला ने बताया कि बी. प्रशांत का जीवन पूरी तरह से मेहनतकश जनता को समर्पित था। उनके गीतों में किसान, मजदूर और आम जनता के संघर्ष और उल्लास की झलक मिलती है। एक ओर उनके गीतों में मेहनतकश जनता की व्यथा दिखती है तो दूसरी ओर उनके हर्षोल्लास के गीत भी सजीव हो उठते हैं, जैसे कि "गाए चलों जिंदगी के गीत, झूम उठे प्राण - मन जाग उठे घर आंगन।"

बी. प्रशांत के गीतों ने हर आंदोलन को ऊर्जा और दिशा दी है। जब मजदूर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं, तो उनके गीत "सर पे बांध कफ़न निकली मजदूरों की टोली, अब बम बरसे या बरसे गोली" उनका हौसला बढ़ाते हैं। उनकी कविताएं और गीत हिम्मत और संघर्ष का प्रतीक बन गए हैं।

प्रशांत के गीत आज भी जनसंघर्षों का अभिन्न हिस्सा हैं। उनके लेखन में जनता की वास्तविकता, संघर्ष और जुझारूपन की सच्चाई उभर कर आती है। बी. प्रशांत जैसे कवि की रचनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहेंगी।

कार्यक्रम के समापन पर चाइल्डसेफ के सचिव जयचंद्र कुमार, विंध्यवासनी देवी लोक कला संस्कृति मंच की सचिव अनीता कुमारी, परफेक्ट सोल्यूशन सोसाइटी के सचिव अनिल कुमार ठाकुर, अमन चिल्ड्रेन स्कूल की प्राचार्य बबीता ठाकुर, सरला श्रीवास युवा मंडल की अध्यक्ष सुमन कुमारी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने बी. प्रशांत की कविताओं और गीतों की सराहना की और उन्हें आदरांजलि अर्पित की।