प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 में कुच्ची का कानून का सशक्त मंचन, दर्शकों ने खूब सराहा

  • Post By Admin on Dec 13 2025
प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 में कुच्ची का कानून का सशक्त मंचन, दर्शकों ने खूब सराहा

पटना : प्रवीण सांस्कृतिक मंच, पटना (बिहार) द्वारा आयोजित प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 के अंतर्गत आज कथाकार शिवमूर्ति की कहानी पर आधारित नाटक ‘कुच्ची का कानून’ का सशक्त मंचन हुआ। नाटक का निर्देशन विजयेंद्र टांक ने किया और मंच पर मौजूद सभी कलाकारों ने इसे जीवंत बनाने में अपनी पूरी मेहनत दिखाई।

प्रस्तुति की शुरुआत से ही संवाद दर्शकों के दिलों को झकझोरते रहे। नाटक समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों को दबाने वाली पुरानी सोच पर सवाल उठाता है। कहानी की मुख्य पात्र, विधवा कुच्ची, अपने मातृत्व स्वीकार करने के अधिकार के लिए पूरे गांव और पंचायत के विरोध के बावजूद डटकर खड़ी रहती है। बिना पुनर्विवाह के गर्भ धारण करने पर उसे अवैध ठहराने की कोशिश की जाती है, लेकिन कुच्ची अपने होने वाले बच्चे और अपनी कोख के अधिकार के लिए साहसपूर्वक आवाज बुलंद करती है। उसकी जिजीविषा और समाज की पुरुषवादी मानसिकता को चुनौती देने का यह रूप दर्शकों को भावुक करने के साथ सोचने पर मजबूर करता है।

मंच पर शाइस्ता खान ने कुच्ची की भूमिका निभाई, मनीष महिवाल हनुमान, गौतम गुलाल बनवारी, प्रतिमा भारती सुलक्षणी, राहुल रंजन बलई बाबा और स्पर्श मिश्रा धनई बाबा के रूप में नजर आए। रोहित चंद्रा लक्ष्मण चौधरी के रूप में मंच पर थे जबकि ज़फ़र आलम और श्रीपर्णा चक्रवर्ती ने क्रमशः रमेशर और उनकी बहु की भूमिका निभाई। हेमा चौधरी चतुरा अइया, अपराजिता कुमारी सुघरा ठकुराइन/कुट्टी और सोनू कुमार समधी के रूप में मंच पर मौजूद थे। साथ ही अभिषेक राज, प्रिंस राज, लाल बाबू, नंदन कुमार, सोनू, आदित्य और तान्या कुमारी ने समाजी और अन्य भूमिकाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

तकनीकी और मंच संयोजन के तहत रोहित चंद्रा ने हारमोनियम, अनीश मिश्रा सारंगी, अभिषेक राज इफेक्ट, विनय चौहान प्रकाश परिकल्पना, जितेंद्र कुमार रूप सज्जा, उमेश शर्मा मंच सज्जा और अनिल मिश्रा पार्श्व ध्वनि की जिम्मेदारी निभाई। तकनीकी विशेषज्ञ हरिशंकर रवि ने समग्र व्यवस्थापन में योगदान दिया। इस महोत्सव के संयोजक डॉ. इन्द्रदीप चंद्रवंशी थे।

पूरे नाटक ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि सामाजिक चेतना और महिला सशक्तिकरण के संदेश को भी मजबूती से पेश किया। दर्शकों ने कलाकारों के अभिनय और प्रस्तुति की भरपूर सराहना की और इसे एक प्रेरणादायक एवं विचारोत्तेजक अनुभव बताया।