भाद्रपद शुक्ल द्वादशी पर वामन जयंती और कल्कि द्वादशी का अद्भुत संयोग, जानें महत्व
- Post By Admin on Sep 03 2025

नई दिल्ली : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि (गुरुवार) इस बार विशेष महत्व लेकर आई है। इस दिन वामन जयंती और कल्कि द्वादशी का अद्भुत संयोग बन रहा है। पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य सिंह राशि और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से 12:45 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल दोपहर 1:55 से 3:29 बजे तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वामन जयंती भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। विष्णु पुराण और भागवत पुराण के मुताबिक, भगवान वामन का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को माता अदिति और ऋषि कश्यप के घर हुआ था। त्रेतायुग में असुरराज बलि से तीन पग भूमि मांगकर वामन अवतार ने देवताओं का स्वर्ग लोक वापस दिलाया और बलि को पाताल लोक का स्वामी बना दिया।
इसी दिन कल्कि द्वादशी का पर्व भी मनाया जाएगा। यह भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब अधर्म, अन्याय और पाप अपनी चरम सीमा पर होंगे, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में प्रकट होंगे। श्रीमद्भागवत पुराण और कल्कि पुराण में वर्णित है कि भगवान कल्कि श्वेत अश्व ‘देवदत्त’ पर सवार होकर हाथ में तलवार धारण करेंगे और दुष्टों का संहार कर धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।
धार्मिक दृष्टि से यह द्वादशी तिथि अत्यंत शुभ मानी जा रही है। आचार्यों का कहना है कि वामन और कल्कि दोनों अवतार धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश से जुड़े हैं। ऐसे में इस दिन व्रत, पूजा और दान का विशेष महत्व है।