स्कंद षष्ठी व्रत : भगवान कार्तिकेय की उपासना से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं, जानें पूजन विधि

  • Post By Admin on Aug 28 2025
स्कंद षष्ठी व्रत : भगवान कार्तिकेय की उपासना से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं, जानें पूजन विधि

नई दिल्ली : भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि इस बार शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे। हिंदू पंचांग में षष्ठी तिथि का विशेष महत्व है और इसे भगवान कार्तिकेय को समर्पित माना जाता है।

दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:56 से दोपहर 12:47 तक रहेगा, जबकि राहुकाल सुबह 10:46 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान कार्तिकेय सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल षष्ठी को भगवान कार्तिकेय ने दैत्य तारकासुर का वध किया था। इसी विजय की स्मृति में यह पर्व स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। इसे कांडा षष्ठी और चंपा षष्ठी भी कहा जाता है।

विशेष रूप से जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती, उन्हें इस दिन स्कंद षष्ठी का व्रत करने की सलाह दी जाती है। सुबह स्नान के बाद लाल कपड़े पर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित कर, पुष्प, दीप-धूप, आभूषण और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है।

पूजन के दौरान “ॐ स्कन्द शिवाय नमः” मंत्र का जाप और भगवान की आरती कर परिक्रमा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस व्रत के पालन से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की हर मनोकामना पूर्ण होती है।