सरयू और फल्गु : शापित नदियों से मोक्षधाम गया तक की पवित्र यात्रा

  • Post By Admin on Sep 08 2025
सरयू और फल्गु : शापित नदियों से मोक्षधाम गया तक की पवित्र यात्रा

नई दिल्ली : पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है, और इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के लिए श्रद्धालु विशेष स्थानों की ओर उमड़ पड़ते हैं। सरयू और फल्गु नदियों के तट पर हजारों लोग अपने पितरों की तर्पण करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दोनों नदियां शापित मानी जाती हैं? इन नदियों का शाप हिन्दू महाकाव्य रामायण से जुड़ा हुआ है।

सरयू नदी, जो उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से निकलती है और घाघरा नदी में मिलती है, अयोध्या की पहचान और श्री राम के जीवन की साक्षी रही है। कहा जाता है कि जब प्रभु राम ने जल समाधि ली, तब भगवान शिव क्रोधित हुए और इस नदी को श्राप दे दिया कि इसका जल किसी धार्मिक कार्य में उपयोग नहीं किया जाएगा। हालांकि, बाद में शिव ने स्नान की अनुमति दी, लेकिन पुण्य की प्राप्ति के लिए इसका जल उपयोग नहीं होता।

दूसरी शापित नदी है बिहार के गया से होकर गुजरने वाली फल्गु नदी। कहा जाता है कि माता सीता ने श्री राम की अनुपस्थिति में दशरथ का पिंडदान किया, लेकिन लौटने पर गवाहों ने झूठ बोला। इस पर माता सीता ने फल्गु नदी को शाप दिया कि इसमें कभी जल न रहेगा। इसके बावजूद, यह नदी पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

गया में विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे स्थित पहाड़ी पर, श्रद्धालुओं का प्रमुख केंद्र है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर राक्षस गयासुर को मोक्ष दिया था और उनके पदचिह्न आज भी मंदिर में अंकित हैं। यही वजह है कि पितृ पक्ष में लाखों श्रद्धालु यहां अपने पितरों का श्राद्ध करने पहुंचते हैं।

सरयू और फल्गु नदियों की पवित्रता और गया का मोक्षधाम, पितृ पक्ष में श्रद्धालुओं की आस्था और परंपरा का प्रतीक बने हुए हैं।