सावन चतुर्दशी पर दुर्लभ आयुष्मान योग, शिव-नारायण की पूजा से मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान

  • Post By Admin on Aug 06 2025
सावन चतुर्दशी पर दुर्लभ आयुष्मान योग, शिव-नारायण की पूजा से मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान

नई दिल्ली : सावन माह की चतुर्दशी तिथि इस वर्ष एक विशेष संयोग लेकर आई है। सोमवार, 6 अगस्त को जहां एक ओर भगवान शिव की आराधना का पुण्य अवसर है, वहीं आयुष्मान योग, प्रीति योग और विष्कम्भ योग का त्रिवेणी संयोग इसे और भी शुभ व फलदायी बना रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह दिन भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्तम है।

दृक पंचांग के मुताबिक चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा धनु राशि में संचार कर रहे हैं। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र दोपहर 2:01 बजे तक रहेगा, जिसके बाद उत्तराषाढ़ा प्रारंभ होगा। दिनभर आयुष्मान और प्रीति जैसे शुभ योगों का प्रभाव रहेगा, जो दीर्घायु, स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। हालांकि राहुकाल दोपहर 2:07 से 3:47 बजे तक रहेगा, जिससे इस समय पूजा-पाठ से परहेज करने की सलाह दी गई है।

धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण दिन

सावन की चतुर्दशी को शिव और विष्णु दोनों की संयुक्त आराधना का विशेष दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजन करने से जीवन में सुख-शांति, ऐश्वर्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। खासकर आयुष्मान योग में शिव-नारायण की उपासना से समस्त कष्ट दूर होते हैं।

शिव पूजन विधि

भक्तों को प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से करें। इसके पश्चात बेलपत्र, दूब, भस्म, अक्षत और मदार आदि अर्पित करें। 'ॐ नमः शिवाय' और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें तथा शिव चालीसा का पाठ कर आरती करें।

विष्णु पूजन विधि

भगवान विष्णु को स्नान कराकर रोली, चंदन, हल्दी, फूल, तुलसी पत्र अर्पित करें। दीप-धूप जलाकर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है। पूजन के उपरांत अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें और दिन भर सात्विक आहार या फलाहार लें।

पंडितों के अनुसार, इस विशेष संयोग में की गई आराधना व्यक्ति के जीवन में दीर्घकालिक सुख और स्थायित्व लेकर आती है। साथ ही परिवारिक सौहार्द, आर्थिक स्थिरता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।