पद्मनाभ द्वादशी : विष्णु-शिव की उपासना से दूर होंगी बाधाएँ, जीवन होगा मंगलमय

  • Post By Admin on Oct 03 2025
पद्मनाभ द्वादशी : विष्णु-शिव की उपासना से दूर होंगी बाधाएँ, जीवन होगा मंगलमय

नई दिल्ली : आश्विन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि इस वर्ष शनिवार को पड़ रही है। इस दिन पद्मनाभ द्वादशी और शनि प्रदोष व्रत एक साथ पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, द्वादशी तिथि 3 अक्टूबर शाम 6:32 बजे से शुरू होकर 4 अक्टूबर शाम 5:09 बजे तक रहेगी। इसी दिन प्रदोष काल में शनि प्रदोष व्रत का पालन भी किया जाएगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक और राहुकाल सुबह 9:13 से 10:41 तक रहेगा।

शनि प्रदोष व्रत में सूर्यास्त के समय शिवलिंग की पूजा, शनि मंत्रों का जाप और तिल, तेल सहित दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे शनि से संबंधित दोषों, कालसर्प और पितृ दोष का निवारण होता है तथा भगवान शिव और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।

इसी के साथ पद्मनाभ द्वादशी का पर्व भी मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने से धन-समृद्धि, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पद्मनाभ स्वरूप का महत्व इसलिए भी है क्योंकि पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्माजी का जन्म हुआ था।

पद्मनाभ द्वादशी पर साधक व्रत रखकर तुलसी पत्र, कमल पुष्प और नैवेद्य अर्पित करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह दिन नया व्यवसाय शुरू करने, निवेश करने और किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।