कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर दिव्य त्रिवेणी योग : करवा चौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी और कार्तिगाई दीपम का पावन संगम
- Post By Admin on Oct 09 2025

नई दिल्ली : इस बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि पर एक अद्भुत संयोग बन रहा है। शुक्रवार को करवा चौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी और मासिक कार्तिगाई दीपम तीनों पर्व एक साथ पड़ रहे हैं, जिससे यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इसे ‘त्रिवेणी योग’ का नाम दिया जा रहा है।
पंचांग के अनुसार शुक्रवार को सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:31 तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 10:41 से दोपहर 12:08 तक रहेगा।
करवा चौथ का व्रत, जो विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि के लिए रखती हैं, इस दिन चंद्रमा के दर्शन के साथ पूर्ण होगा। महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा कर निर्जला उपवास रखती हैं। पूजा के बाद मिट्टी के करवा से जल अर्पित कर व्रत का समापन किया जाता है।
वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के वक्रतुण्ड रूप की आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, गणेश जी ने मत्सरासुर नामक दैत्य का वध करने के लिए यह स्वरूप धारण किया था। इस दिन व्रत रखकर भक्त विघ्नहर्ता से जीवन में सफलता और संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं।
वहीं, मासिक कार्तिगाई दीपम, जिसे दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है, भगवान शिव और उनके पुत्र मुरुगन को समर्पित है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलई में इस अवसर पर ‘महादीपम’ प्रज्वलित किया जाता है, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर तक दिखाई देता है। यह दीप अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
तीनों पर्वों का यह दुर्लभ संगम भक्तों के लिए शुभ फल देने वाला माना जा रहा है, जहां एक ही दिन में करवा चौथ की सौभाग्य कामना, गणेश आराधना और शिव ज्योति पर्व का पूजन एक साथ संपन्न होगा।