पवित्र दीपदान और व्रत से मिलती है शनिदेव की कृपा, दूर होती हैं जीवन की बाधाएं

  • Post By Admin on Dec 12 2025
पवित्र दीपदान और व्रत से मिलती है शनिदेव की कृपा, दूर होती हैं जीवन की बाधाएं

नई दिल्ली : पौष माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि शनिवार शाम 4:37 बजे तक रहेगी, जिसके बाद दशमी तिथि का प्रारंभ होगा। इस दौरान सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में स्थित रहेंगे। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए यह विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

द्रिक पंचांग के मुताबिक शनिवार को अभिजीत मुहूर्त 11:55 बजे से 12:36 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल सुबह 9:40 बजे से 10:58 बजे के बीच रहेगा। हालांकि इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के अनुसार शनिवार का व्रत रखकर जातक शनि दोषों से राहत पा सकते हैं।

शनि: संघर्ष से सफलता तक का मार्ग

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्मफल दाता कहा गया है। कई लोग उन्हें क्रूर ग्रह मानते हैं, लेकिन मान्यताओं के अनुसार शनिदेव व्यक्ति को कठिनाइयों से गुजराकर उसे बेहतर और मजबूत बनाते हैं।

साढ़े साती, ढैय्या या शनि महादशा के दौरान जातकों को आर्थिक समस्याएं, नौकरी में रुकावटें, मान-सम्मान में कमी और पारिवारिक तनाव जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

शनिवार व्रत: शनि दोषों से राहत

ऐसे समय में शनिवार का व्रत विशेष फलकारी माना जाता है। किसी भी माह के प्रथम शुक्ल पक्ष शनिवार से व्रत शुरू करके लगातार 7 शनिवार व्रत रखने पर शनि के प्रकोप में कमी आती है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होने की मान्यता है।

पीपल के पेड़ के नीचे दीपदान का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के वृक्ष में शनिदेव का वास माना जाता है।
इस कारण प्रत्येक शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना, छाया दान करना और मन से प्रार्थना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और शनि की कृपा प्राप्त होती है।

जिन जातकों के लिए व्रत रखना संभव नहीं है, वे केवल शनिवार की शाम दीपक जलाकर भी शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं—ऐसा शास्त्रों में उल्लेख मिलता है।