बरूराज विधानसभा में सियासी टक्कर तेज़ : भाजपा के लिए सीट बचाने की चुनौती, महागठबंधन ने कसा शिकंजा
- Post By Admin on Nov 01 2025
मुजफ्फरपुर : जिले की बरूराज विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। 2020 में पहली बार यहां भाजपा ने जीत का परचम लहराया था, लेकिन अब उसके सामने अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने की चुनौती है। वहीं महागठबंधन की ओर से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) पूरी ताकत से मैदान में उतर चुकी है।
वैशाली लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली यह सामान्य सीट उत्तर बिहार के सबसे अहम राजनीतिक क्षेत्रों में से एक है। भौगोलिक रूप से बरूराज क्षेत्र मोतीपुर ब्लॉक और पारू प्रखंड के चोचहिन छपरा व सरैया पंचायतों को समेटता है।
1951 में गठन के बाद से यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने 5 बार, राजद ने 3 बार, जनता दल और जदयू ने 2-2 बार जीत हासिल की है। जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, लोक दल, भाजपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी को एक-एक बार जीत मिली है।
2015 में राजद के नंदकुमार राय ने भाजपा के अरुण कुमार सिंह को हराया था, लेकिन 2020 में अरुण कुमार सिंह ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए बरूराज में भाजपा का परचम फहरा दिया।
इस बार भाजपा ने फिर से अरुण कुमार सिंह पर भरोसा जताया है, जबकि महागठबंधन की सहयोगी वीआईपी ने राकेश कुमार को टिकट दिया है। जन सुराज पार्टी ने हीरालाल खारिया को मैदान में उतारा है। कुल 12 उम्मीदवारों के बीच इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
बरूराज का जातीय समीकरण भी बेहद संतुलित और निर्णायक है। यादव और मुस्लिम मतदाता यहां मुख्य भूमिका निभाते हैं, जबकि राजपूत, नोनिया और वैश्य समुदाय भी परिणाम पर प्रभाव डालते हैं। भूमिहार मतदाताओं का रुख इस बार भी निर्णायक साबित हो सकता है।
बरूराज क्षेत्र गंडक बेसिन का हिस्सा है, जहां की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी कृषि के लिए वरदान मानी जाती है। गन्ना, धान और मक्का यहां की मुख्य फसलें हैं। लेकिन बदलते पर्यावरण और बार-बार आने वाली बाढ़ ने किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं।
कुल मिलाकर, बरूराज की जंग इस बार सिर्फ विकास के वादों पर नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा और जातीय समीकरणों की परीक्षा भी होगी — जहां भाजपा को इतिहास दोहराने की और विपक्ष को सत्ता में वापसी की आस है।