कुढ़नी विधानसभा : भाजपा-राजद के बीच कांटे की टक्कर, जानें इस बार का चुनावी समीकरण
- Post By Admin on Nov 01 2025
मुजफ्फरपुर : बिहार विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी सीट एक बार फिर सियासी मुकाबले का केंद्र बनने जा रही है। यह सीट न केवल अपने करीबी चुनावी नतीजों के लिए जानी जाती है, बल्कि यहां के जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दे हर बार समीकरणों को नया मोड़ दे देते हैं।
कुढ़नी का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यह सीट कभी किसी एक दल की स्थायी जागीर नहीं रही। लंबे समय तक जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का दबदबा रहा और मनोज कुमार सिंह ने लगातार तीन बार यहां जीत दर्ज की। मगर 2015 में भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने इस पर कब्जा कर लिया। उन्होंने 11,570 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर भाजपा को मजबूत बढ़त दी।
2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट राज्य की सबसे चर्चित सीटों में रही, जब राजद के अनिल कुमार सहनी ने बेहद करीबी मुकाबले में भाजपा उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता को मात दी। जीत का अंतर मात्र 712 वोट का था, जिसने कुढ़नी को पूरे बिहार में सुर्खियों में ला दिया।
हालांकि, राजद की यह जीत अधिक दिनों तक नहीं टिक सकी। एक कानूनी विवाद में अनिल सहनी की सदस्यता रद्द होने के बाद हुए 2022 के उपचुनाव में भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने शानदार वापसी की और सीट फिर से हासिल कर ली।
स्थानीय स्तर पर कुढ़नी लहठी (चूड़ियां) उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यही उद्योग यहां की पहचान भी है और लोगों की रोज़ी-रोटी का प्रमुख जरिया भी। क्षेत्र की प्रमुख मांगों में मनियारी को प्रखंड घोषित करना, किसानों के लिए सिंचाई की बेहतर सुविधा और लहठी कारोबार को बढ़ावा देना शामिल है।
राजनीतिक दृष्टि से यहां वैश्य, मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन समुदायों का समर्थन जिस ओर झुकता है, जीत प्रायः उसी दल के हिस्से में जाती है। यही कारण है कि कुढ़नी की राजनीति में हर बार जातीय और सामाजिक समीकरणों का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।