कांग्रेस की महारथी अपनी ही सीट पर उलझ रहे, संगठन की गतिविधियां हो रही प्रभावित

  • Post By Admin on Apr 13 2024
कांग्रेस की महारथी अपनी ही सीट पर उलझ रहे, संगठन की गतिविधियां हो रही प्रभावित

भोपाल : मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने उन नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है, जिनके ऊपर पार्टी  प्रत्याशियों के पक्ष में संगठन की सक्रिय कार्यों की जिम्मेदारी थी और अन्य संगठन के ये महारथी अपनी ही सीट पर चुनाव में उलझकर रह गए हैं। पार्टी के पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा और सतना आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम को बैतूल लोकसभा सीट से चुनाव में उतारा गया है। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़, कमलनाथ छिंदवाड़ा और कांतिलाल भूरिया रतलाम में उलझकर रह गए हैं। विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस ने रणनीति के तहत कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा। दरअसल, 2018 से पूर्व मुख्यमंत्री कमल ज्ञथ के हाथों में पार्टी की पूरी बागडोर थी। वह ही सत्ता और संगठन के केंद्र बिंदु थे। उन्होंने अपने हिसाब से जमावट भी की थी लेकिन जब चार माह पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली तो पार्टी ने उन्हें हटाकर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी भंग कर दी गई और अब तक एक नई टीम भी नहीं बन पाई है। प्रदेश में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग की पार्टी के पक्ष में जोड़ने की जिम्मेदारी जिन संगठनों की थी, उनके मुखिया ही चुनाव लड़ रहे हैं। न तो सिद्धार्थ कुशवाहा सतना छोड़ पा रहे हैं और न ही रामू टेकाम बैतूल से बाहर निकल पा रहे हैं। इससे संगठन की गतिविधियां भी एक प्रकार से ठप हो गई हैं और टीम भी एक दिशा में काम नहीं कर पा रही है। यही स्थिति यूथ कांग्रेस के साथ भी हो रही थी। इसके प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया के पिता कांतिलाल भूरिया रतलाम लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। यह स्वयं झाबुआ से विधायक भी हैं, जो रतलाम लोकसभा क्षेत्र में ही आता है, इसलिए वे भी पूरा समय नहीं दे पा रहे थे। इससे संगठन की गतिविधियां प्रभावित हो रही थीं, जिसे देखते हुए उन्होंने पद छोड़ने की पेशकश की, जिसे स्वीकार करते हुए अब मितेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है। प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता शैलेन्द्र पटेल का कहना है कि निश्चित रूप से संगठन के लोग थे, इन्हें चुनावी राजनीति में मौका देने की आवश्यकता थी। पार्टी में ऐसे लोगों को चुनाव लड़ना है। जैसे-जैसे उनके चुनाव होते जाएंगे, वे पूरे प्रदेश में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। संगठन के अन्य पदाधिकारी पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं।